इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है जिसे अरबी भाषा में रमादान कहते हैं। नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था। रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभों (कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज ) में से एक है। कुरान सूरा 2 के आयात 183 और 184 मे हर व्यक्ति को इस पाक महीने मे हुजूर की तरह ही सुबह से लेकर शाम सूरज डूबने तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही है। अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वालों की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है। Read More
रोजा में दिन उगने से पहले भोजन किया जाता है और दिन ढलने के बाद ही कुछ खाया पीया जाता है। मुसलिम समुदाय के इस महीने में लोग अल्लाह की इबादत करते हैं। ...
इस्लामी कैलेंडर के रमजान महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। वे भोर के समय से लेकर सूर्यास्त के बीच कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं। रमजान के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है। ...
रमजान के महीने में दो चीजें अहम होती हैं। पहला सहरी और दूसरा इफ्तार। सहरी दिन में सूरज निकलने से पहले किया जाता है जिसमें हर दिन सुबह तय समय पर भोजन किया जाता है। ...