भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-2 तब विफल हो गया जब लैंडर क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर स्थिति में उचित रूप से स्विच नहीं कर सका और ठीक ब्रेकिंग चरण में प्रवेश करते समय चंद्रमा की सतह पर गिर गया, जिसे वैज्ञानिक अब 15 मिनट ...
1960 के दशक की शुरुआत में पहली अपोलो लैंडिंग से पहले वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि चंद्रमा पर पानी मौजूद हो सकता है। 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में अपोलो क्रू द्वारा विश्लेषण के लिए लौटाए गए नमूने सूखे प्रतीत हुए। ...
Chandrayaan 3: सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मिशन, जलवायु अवलोकन उपग्रह का प्रक्षेपण, गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत एक प्रायोगिक यान और भारत-अमेरिका सिंथेटिक एपर्चर रडार का प्रक्षेपण शामिल हैं। ...
इसरो 23 अगस्त चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए प्रयास कर रहा है। इन सबके बीच एक सवाल बार-बार उठ रहा था कि यदि किन्हीं कारणों से परिस्थितियां अनुकूल नहीं हुई तो क्या होगा। अगर लैंडर या चांद की स्थिति उतरने के लिए ठीक नहीं हुई तो इसे 27 अगस्त ...
साल 2019 में भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था। इसका लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा था। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। ...
पूरा देश चंद्रयान-3 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफल होते देखना चाहता है। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम का सीधा प्रसारण 23 अगस्त, 2023 को भारतीय समयानुसार शाम 17:27 बजे शुरू किया जाएगा। ...
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब यह 23 अगस्त को द्रमा पर उतरने का प्रयास करेगा। 18 अगस्त को एलएम ने सफलतापूर्वक एक डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई। ...