अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। Read More
सूत्रों ने बताया कि फैसले के बाद मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने विभिन्न देशों और सहयोगी देशों के राजनयिकों को इससे अवगत कराया। हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं है कि कितने देशों के राजनयिकों को फैसले से अवगत कराया गया है और उन्हें क्या खास संदेश दिया गया। ...
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आम सहमति से अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया और राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। ...
देश के प्रधान न्यायाधीश के रूप में तीन अक्टूबर, 2018 को शपथ लेने वाले गोगोई भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर राज्यों के पहले व्यक्ति हैं। उनका कार्यकाल 13 महीने से थोड़ा ज्यादा का रहा जो 17 नवंबर, 2019 को समाप्त हो रहा है। ...
सदी से भी ज्यादा पुराने इस विवाद पर शनिवार को फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या की विवादित जमीन पर सरकार की ओर से गठित न्यास की निगरानी में राम मंदिर बनाने को कहा और साथ ही कहा कि अयोध्या में ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन खोजी जाए। ...
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, गृह सचिव अजित भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार के साथ बैठक की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ...
शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर अपना फैसला सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति बोबडे को मामले की सुनवाई पूरा होने के दो दिन बाद और फैसले से सिर्फ 10 दिन पहले भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी। ...
मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवतजी की इस बात से पूरी तरह सहमत हूं और उनके कथन का स्वागत भी करता हूं कि यह फैसला न किसी की जीत है और न किसी की हार है. न उत्सव होना चाहिए और न ही दुखी होना चाहिए. मोदीजी ने ...
बहरहाल, देश की सबसे बड़ी अदालत का यह सर्वसम्मति से दिया गया फैसला इन न्यायमूर्तियों और न्याय की दुनिया में एक बड़ा उदाहरण बनेगा क्योंकि कुल 22 जटिल प्रश्नों पर सभी पांच जजों का एकमत होना शायद दुनिया में पहली बार हुआ है. ...