भारतीय राजनीति में जनप्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त को देखते हुए 1985 में पहली बार इस कानून को राजीव गांधी सरकार में लाया गया। इस कानून के तहत पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने या दल बदलने पर सांसद-विधायक की सदस्यता रद्द हो जाती है। इसके अलावा दल-बदल निरोधक कानून (एंटी डिफेक्शन लॉ) के अनुसार सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं, अगर सामूहिक रूप से भी दल बदला जाता है तो उसे असंवैधानिक करार दिया जाएगा। दल बदलने के लिए पार्टी के दो तिहाई सदस्य अनिवार्य हैं