ट्रूकॉलर यूजर हो जाएं सावधान, 1.5 लाख रुपये में बिक रहा है भारतीयों का डाटा
By रजनीश | Published: May 22, 2019 01:11 PM2019-05-22T13:11:02+5:302019-05-22T13:11:02+5:30
फोन करने वाले कॉलर का नाम बताने वाला एप ट्रूकॉलर ने साल की शुरुआत में कहा था कि उसने अपने प्लैटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करने के शक वाले यूजर अकाउंट्स की जांच शुरू की है। इसने अब एक यूजर की ओर से सर्च किए जाने वाले नंबरों की प्रतिदिन की संख्या सीमित कर दी है।
आइडेंटिटी एप ट्रूकॉलर के जरिए आपका नाम, फोन नंबर, ईमेल एड्रेस सहित अन्य डाटा एक प्राइवेट इंटरनेट फोरम पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। ये बातें डाटा के खरीद बिक्री पर नजर रखने वाले एक साइबर सिक्योरिटी एनालिस्ट के जरिए निकल कर आई हैं।
ट्रूकॉलर के लगभग 140 मिलियन यूजर हैं। इसमें 60-70 परसेंट भारतीय यूजर हैं जिनका डाटा कथित डार्क वेब पर 1.5लाख रुपये (2000 यूरो) तक में बेचा जा रहा है। जबकि ग्लोबल यूजर के डाटा की कीमत 25,000 यूरो है।
यह एप यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए पेमेंट सर्विस भी प्रदान करता है। इसने किसी भी तरह के डाटा बेस के लीक को नकारा है। स्वीडन की इस कंपनी का कहना है कि उसने अपने यूजर्स की ओर से ही डाटा की अनऑथराइज्ड कॉपी करने के मामले पाए हैं। ट्रूकॉलर एक प्रीमियम सर्विस की भी पेशकश करता है, जिसमें सब्सक्राइबर्स पेमेंट देकर जितने चाहें उतने नंबरों को सर्च कर सकते हैं।
ट्रूकॉलर के प्रवक्ता ने बताया, 'हाल ही में यह हमारे ध्यान में लाया गया है कि कुछ यूजर्स अपने अकाउंट का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। हम यह पुष्टि करना चाहते हैं कि यूजर्स की किसी संवेदनशील जानकारी में सेंध नहीं लगी है।'
बिक्री के लिए उपलब्ध डाटा का एक नमूना देखने पर पता चला कि इसमें यूजर के निवास के राज्य और उसके मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर जैसी जानकारियां शामिल हैं। ट्रूकॉलर ऐप पर बिना किसी क्रम के की गई नंबरों की सर्च में जो रिजल्ट मिले वे एनालिस्ट की ओर से हमें दिए गए डाटा से मेल खाते थे।
ट्रूकॉलर ने साल की शुरुआत में कहा था कि उसने अपने प्लैटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करने के शक वाले यूजर अकाउंट्स की जांच शुरू की है। इसने अब एक यूजर की ओर से सर्च किए जाने वाले नंबरों की प्रतिदिन की संख्या सीमित कर दी है।
ट्रूकॉलर ने बताया, 'हम यह दोहराना चाहते हैं कि यह हमारे डाटाबेस पर एक हमला नहीं है क्योंकि हमारे सर्वर पर स्टोर किया गया डाटा पूरी तरह सुरक्षित है। हम यूजर्स की प्रिवेसी और हमारी सर्विसेज की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेते हैं।'
वहीं साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि डाटा के इतने बड़े हिस्से तक पहुंच केवल ट्रूकॉलर के डाटाबेस में सेंध लगाकर ही मिल सकती है। साइबर सिक्यॉरिटी ऐंड प्रिवेसी फाउंडेशन के जे. प्रसन्ना ने कहा, 'यह सामान्य डाटा ही नहीं, बल्कि कई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का डाटा है। कंपनियों को सतर्कता बरतने और कस्टमर्स के डाटा को सुरक्षित रखने की जरूरत है।'