बढ़ती जा रही है टिकटॉक की मुश्किल, अब साउथ कोरिया ने लगाया जुर्माना, बच्चों का डेटा कलेक्ट करने और दूसरे देशों को शेयर करने आरोप
By रजनीश | Published: July 16, 2020 11:07 AM2020-07-16T11:07:38+5:302020-07-16T11:07:38+5:30
भारत में बैन के बाद अब टिकटॉक ऐप पर साउथ कोरिया ने जुर्माना लगाया है। दरअसल टिकटॉक पर जुर्माना डेटा कलेक्ट करने और फिर उसे दूसरे देशों को शेयर करने के लिए लगाया गया है।
शॉर्ट विडियो मेकिंग ऐप टिकटॉक को भारत में तो पहले से ही बैन किया जा चुका है। अब अमेरिका में भी इसको बैन करने की चर्चा तेज है। हाल ही में एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि टिकटॉक को बैन करना चाइना से हथियार छीन लेने जैसा है। अब टिकटॉक पर एक और बड़ा आरोप लगा है। इस ऐप पर साउथ कोरिया में बड़ा जुर्माना लगाया गया है।
टिकटॉक पर आरोप लगा है कि उसने बच्चों से जुड़े डेटा का गलत इस्तेमाल किया। इसके चलते टिकटॉक ऐप पर 186 मिलियन वॉन (करीब 1.1 करोड़ रुपये) डॉलर का जुर्माना लगाया गया है।
द कोरिया कम्युनिकेशंस कमिशन (केसीसी) ने चाइनीज कंपनी पर फाइन लगाया है। केसीसी दरअसल कोरिया में टेलिकम्युनिकेशंस और डेटा से जुड़े सेक्टर्स में रेग्युलेटर का काम करता है। यही संस्था यूजर्स के डेटा से जुड़ी निगरानी की जिम्मेदारी का काम भी करती है। टिकटॉक पर यह बड़ा जुर्माना इसलिए लगाया गया क्योंकि कंपनी यूजर्स का प्राइवेट डेटा प्रटेक्ट नहीं रख पाई थी।
टिकटॉक पर लगाया गया जुर्माना कंपनी की इस देश में एनुअल सेल्स का करीब 3 प्रतिशत है। लोकल प्राइवेसी लॉ के तहत इतनी ही रकम कंपनी को चुकानी पड़ती है।
14 साल से कम उम्र के बच्चों का डेटा कलेक्ट किया
केसीसी ने पिछले साल अक्टूबर में मामले की जांच शुरू की थी और पाया था कि टिकटॉक बिना पैरंट्स की परमिशन के 14 साल के कम उम्र के बच्चों का डेटा कलेक्ट और इस्तेमाल कर रहा था। खासकर कम उम्र के यूजर्स के डेटा को लेकर टिकटॉक की गलती सामने आई।
दूसरे देशों को शेयर किया डेटा
केसीसी के मुताबिक, 31 मई 2017 से 6 दिसंबर 2019 के बीच चाइल्ड डेटा के कम से कम 6,0007 पीस कलेक्ट किए गए। टिकटॉक ने यूजर्स को यह जानकारी भी नहीं दी कि उनका डेटा दूसरे देशों तक भेजा जा रहा है।
जांच में सामने आया कि कंपनी चार क्लाउड सर्विसेज अलीबाबा क्लाउड, फास्टली, एजकास्ट और फायरबेस का इस्तेमाल करती है। ऐसे में एक बार फिर टिकटॉक पर सवाल उठने से उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। साथ ही उसे अन्य देशों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।