TikTok Ban: सरकार ने गूगल और एपल से एप डिलीट करने को कहा
By रजनीश | Published: April 16, 2019 06:17 PM2019-04-16T18:17:00+5:302019-04-16T18:17:00+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट की तरफ से इस ऐप पर लगाई गई पाबंदी पर स्टे देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी ने यह कदम उठाया है।
केंद्र सरकार ने गूगल और ऐपल से कहा है कि वे अपने ऐप स्टोर्स से शॉर्ट-विडियो मोबाइल ऐप्लीकेशन टिक टॉक (TikTok) को हटा लें। यह जानकारी इस पूरे मामले से जुड़े दो लोगों की तरफ से दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट की तरफ से इस ऐप पर लगाई गई पाबंदी पर स्टे देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी ने यह कदम उठाया है।
इस मामले की सुनावाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। मामले की सुनवाई 22 अप्रैल के लिए टाल दी गई है। मद्रास हाईकोर्ट ने मामले पर 16 अप्रैल को सुनावाई कर सकती है। मंत्रालय के आदेश के बाद इस एप को डाउनलोड नहीं किया जा सकेगा। हालांकि जो लोग पहले से इस एप को डाउनलोड कर चुके हैं वह इसका इस्तेमाल जारी रख सकेंगे।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, 'हाईकोर्ट ने सरकार को टिक टॉक एप पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। मंत्रालय गूगल और एपल एप स्टोर से इस एप को डिलिट कराकर सुनिश्चित कर रहा है। अब यह कंपनियों पर है कि वह ऐसा करें या ऑर्डर के खिलाफ अपील करें।
मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 3 अप्रैल को टिक टॉक एप पर बैन लगाने की बात कही थी। कोर्ट ने कहा था कि यह चाइनीज ऐप बच्चों के लिए खतरनाक है।
मार्केट एनालिसिस फर्म सेंसर टॉवर के मुताबिक, पहली तिमाही में टिक टॉक एपल और एंड्राएड डिवाइस में इंस्टाल किया जाने वाला दुनिया भर में तीसरा ऐप रहा।
कोर्ट ने मीडिया कंपनियों पर भी टिक टॉक के वीडियो टेलीकास्ट करने पर रोक लगाई है। टिक टॉक के मालिकाना हक वाली कंपनी बाइटडांस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बैन पर स्टे की मांग की और कहा कि इससे कंपनी की छवी खराब होगी।