आपत्तिजनक सामग्री हटाने के भारत सरकार के आदेश को ट्विटर ने दी कानूनी चुनौती, बताया अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन
By रुस्तम राणा | Published: July 5, 2022 05:50 PM2022-07-05T17:50:02+5:302022-07-05T17:54:12+5:30
आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के आदेश की न्यायिक समीक्षा की ये कोशिश इस अमेरिकी कंपनी और भारत सरकार के बीच टकराव में एक और कड़ी साबित होगी।
नई दिल्ली: ट्विटर ने भारत सरकार के खिलाफ कानूनी मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए भारत सरकार के कुछ आदेशों को अदालत में चुनौती दी है।
ट्विटर सरकार के इन आदेशों को पलटने की मांग कर रहा है। आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के आदेश की न्यायिक समीक्षा की ये कोशिश इस अमेरिकी कंपनी और भारत सरकार के बीच टकराव में एक और कड़ी साबित होगी।
ट्विटर को पिछले एक साल में भारतीय अधिकारियों द्वारा एक स्वतंत्र सिख राज्य के समर्थन वाले खातों सहित सामग्री पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। इन कथित ट्वीट्स और खातों के जरिए किसानों आंदोलन को लेकर झूठ और गलत सूचना फैलाई जा रही थी। इसके अलावा ऐसी भी पोस्ट्स थी जिनमें सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सरकार की आलोचना की जा रही थीं।
भारत के आईटी मंत्रालय ने मंगलवार को ट्विटर के कानूनी कदम के बारे में टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। भारत सरकार ने पहले कहा है कि ट्विटर सहित बड़ी सोशल मीडिया फर्मों ने कानूनी स्थिति के बावजूद हटाने के अनुरोधों का अनुपालन नहीं किया है।
पिछले महीने के अंत में, ट्विटर को भारत के आईटी मंत्रालय द्वारा उनके आदेशों का पालन न करने पर आपराधिक कार्यवाही की चेतावनी दी गई थी। हालांकि ट्विटर ने इस सप्ताह सरकार के आदेश का अनुपालन किया। ट्विटर ने न्यायिक समीक्षा के अपने अनुरोध में तर्क दिया कि कुछ निष्कासन आदेश भारत के आईटी अधिनियम के खिलाफ हैं। आईटी अधिनियम सरकार को अन्य कारणों से राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सामग्री तक सार्वजनिक पहुंच को अवरुद्ध करने की अनुमति देता है।
बता दें कि भारत में करीब 2.4 करोड़ यूजर्स वाले ट्विटर ने ये भी दलील दी है कि कुछ ऑर्डर्स में कंटेंट के लेखक को नोटिस तक नहीं दिया गया। इसमें ये भी कहा गया है कि कुछ पोस्ट राजनीतिक दलों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए गए हैं। इनको ब्लॉक करना एक तरह से अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है।