'मेक इन इंडिया' के तहत भारत ने बनाया 20 करोड़ मोबाइल फोन, बना दुनिया का दूसरा बड़ा उत्पादक: रिपोर्ट
By आजाद खान | Published: August 17, 2023 08:28 AM2023-08-17T08:28:58+5:302023-08-17T08:49:57+5:30
काउंटरप्वाइंट द्वारा किए गए रिसर्च के डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा है कि "2022 में, समग्र बाजार में 98 प्रतिशत से ज्यादा शिपमेंट 'मेक इन इंडिया' थे, जबकि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता संभालने के समय यह केवल 19 प्रतिशत था।"
नई दिल्ली: सोमवार को सामने आए एक ताजा रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि 'मेक इन इंडिया'मोबाइलफोन शिपमेंट ने 2014-2022 के दौरान 2 बिलियन के आंकड़े को पार कर लिया है। रिसर्च में यह साफ हुआ है कि यह इजाफा कई कारणों से हुआ जैसे घरेलू मांग में बढ़ोतरी और नई टेक्नॉलिजी के प्रति लोगों की जागरूकता आदि जैसे कारणों के लिए हुआ है।
रिसर्च में क्या खुलासा हुआ है
काउंटरप्वाइंट के रिसर्च के अनुसार, भारत के 'मेक इन इंडिया' अभियान ने 23 फीसदी सीएजीआर के साथ 2014-2022 तक घरेलू मोबाइलफोन शिपमेंट को 2 बिलियन (20 करोड़) से अधिक कर दिया है। रिसर्च की अगर माने तो डिजिटल लिटरेसी बढ़ाने वाली भारी इंटरनल डिमांड और सरकारी दबाव इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं जिससे भारत मोबाइल बनाने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बना है।
इस पर बोलते हुए रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा है कि "2022 में, समग्र बाजार में 98 प्रतिशत से ज्यादा शिपमेंट 'मेक इन इंडिया' थे, जबकि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता संभालने के समय यह केवल 19 प्रतिशत था।" उन्होंने आगे बताया कि "भारत में लोकल वेल्यू एडिशन वर्तमान में आठ साल पहले के निम्न एकल अंक की तुलना में औसतन 15 प्रतिशत से अधिक है।"
सेमीकंडक्टर का हब बनना चाहता है भारत
चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन और आत्म-निर्भर भारत जैसी पहलों के साथ भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक है, जिससे स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। 2022 में, भारत के 98 फीसदी मोबाइल फोन शिपमेंट स्थानीय रूप से किए गए थे, जो 2014 में 19 फीसदी से अधिक था।
मूल्यवर्धन 15 फीसदी से अधिक हो गया है। पारिस्थितिकी तंत्र फल-फूल रहा है, जिससे नौकरियां और निवेश पैदा हो रहे हैं। भारत का लक्ष्य सेमीकंडक्टर हब बनना है, जो पीएलआई और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निवेश जैसी योजनाओं द्वारा समर्थित है।