'लठमार होली' क्यों मनाई जाती है? जानिए इसकी शुरुआत कैसे हुई और भगवान कृष्ण से क्या है कनेक्शन
By ज्ञानेश चौहान | Published: February 22, 2020 05:37 PM2020-02-22T17:37:41+5:302020-02-22T17:37:41+5:30
देशभर में हर साल लठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेली जाती है। इस दिन खासकर मधुरा में बड़ी धूम रहती है।
भारत में इस साल होली सेलिब्रेशन 9 और 10 मार्च को किया जाएगा। खासकर बनारस, बरसाना और नंदगांव में तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं। इस दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में लठमार होली भी खेली जाती है। इस साल लठमार होली 4 मार्च को है। लेकिन कई लोग लठमार होली के बारे में नहीं जानते हैं। तो इस आर्टिकल में आप जानेंगे लठमार होली क्या होती है? यह क्यों मनाई जाती है? और इसकी शुरूआत कैसे हुई?
लठमार होली क्या होती है?
देशभर में हर साल लठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेली जाती है। इस दिन खासकर मधुरा में बड़ी धूम रहती है। इस दिन महिलाएं पुरुषों को लठ यानी डंडे से पीटती हैं लेकिन वे प्यार से पिटाई करती हैं ताकि कोई चोट न लगे। डंडों से बचाव के लिए पुरुष ढ़ाल का उपयोग करते हैं।लठमार होली क्यों मनाई जाती है?
इस त्योहार के पीछे पौराणिक इतिहास छुपा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण मधुरा के नंदगांव से बरसाना में राधा के साथ होली खेलने आते थे। इस दौरान एक तरफ कृष्ण के सखा होते थे तो दूसरी तरफ राधा की सखियां होती थीं। इस दौरान राधा अपनी सखियों के साथ लठ लेकर कृष्ण और उनके साथियों पर डंडे बरसाती थीं। इस दौरान त्योहार और प्यार दोनों का दृश्य काफी अद्भुत होता था।राधा आपने चहेते कृष्ण को प्यार से लठ मारकर सालभर में की गई गलतियों का बदला लेती थीं। तभी से यह त्योहार हर साल मनाया जाता है। खासकर मधुरा और वृंदावन में इस त्योहार को जोरों-शोरों से मनाया जाता है।