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क्या है मलमास, क्यों पड़ा इसका ऐसा नाम, जानिए इस अशुभ महीने की हर बात

By गुलनीत कौर | Updated: December 18, 2018 07:18 IST

इस बार 16 दिसंबर, 2018 से 14 जनवरी, 2019 तक मलमास चलेगा, उसके बाद से ही शुभ कार्यों का आरम्भ होगा।

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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर तीन साल में एक बार मलमास का महीना आता है। शास्त्रों में इसे पुरषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 16 दिसंबर से मलमास का महीना आरम्भ हुआ है। हिन्दू धर्म में इस महीने कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। 

शादी, ब्याह, गृहप्रवेश, किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना इस अशुभ महीने में वर्जित माना जाता है। इस बार 16 दिसंबर, 2018 से 14 जनवरी, 2019 तक मलमास चलेगा, उसके बाद से ही शुभ कार्यों का आरम्भ होगा। आइए जानते हैं क्या है ये मलमास और क्यों सिका नाम ऐसा पड़ा।

क्या है मलमास?

शास्त्रों के अनुसार तीन साल बाद एक बार आने वाले मलमास या अधिक मास को अशुभ महीना कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। मगर ज्योतिष विधा की मानें तो मलमास सूर्य के राशि परिवर्तन करने की वजह से लगता है।

सूर्य, जो कि सौरमंडल का सबसे महत्वपूर्व ग्रह है, यह एक महीने के अंतर में राशि परिवर्तित करता है। यानी एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल बारह राशियाँ होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के राशि बदलने को 'संक्रांति' कहा जाता है। 

राहसी बदलते हुए सूर्य जब धनु और मीन राशि पर जाता है, तब मलमास का महीना लगता है। इस बार सूर्य का धनु राशि में प्रवेश हुआ है। इसे ज्येष्ठ मास का मलमास बताया जा रहा है। यह महीना 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में चले जाने के बाद, यानी 'मकर संक्रांति' को बदल जाएगा।

क्यों पड़ा मलमास नाम?

शास्त्रों के अनुसार साल में 12 महीने होते हैं और अगर 12 से अधिक महीने आएं तो उसे 'मलिन' यानी अशुभ प्रभाव वाला माना जाता है। इसी कारण इस महीने का नाम मलमास पड़ा। लेकिन मलमास के लावा इस महीने को पुरुषोत्तम मास, अधिक मास, अतिरिक्त मास के नाम से भी जाना जाता है।

मलमास में क्या ना करें?

मलमास में कभी भी शादी-वोवाह, गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इस समय बृहस्पति अपनी कमजोर दशा में होते हैं। इस दौरान यदि शादी की जाए तो वर और वधु दोनों के भविष्य के लिए यह बेहद हानिकारक होता है। 

मलमास में क्या करें?

मलमास का महीना शुभ कार्यों के लिए अशुभ होता है, परंतु पूजा-अर्चना के लिए हमेशा ही श्रेष्ठ माना गया है। यह मास भगवान शिव की आराधना के लिए फलदायी होता है। शिवजी के अलावा इस महीने में विष्णु पूजा को भी महत्व दिया जाता है। 

मलमास में यह मन्त्र पढ़ें:

गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्। गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।। ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र का जप करते समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए, अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ ही पूजा तथा हवन के साथ दान करना भी लाभकारी माना गया है।

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