Waqf Amendment Bill, 2024: वक्फ विधेयक यूपी में भाजपा के लिए बनेगा मुसीबत, सपा और बसपा ने विधेयक का किया विरोध
By राजेंद्र कुमार | Published: August 8, 2024 07:13 PM2024-08-08T19:13:09+5:302024-08-08T19:16:57+5:30
लखनऊ: लोकसभा में गुरुवार को पेश वक्फ संशोधन विधेयक भले ही अटक गया है, लेकिन अब यह रुका हुआ विधेयक भी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए मुसीबत बन सकता है। इसकी वजह है यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियों का होना। यह वक्फ संपत्तियां यूपी के कई शहरों में हैं, जिनकी देखरेख यूपी में शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड करता है। मुस्लिम संगठनों तथा उलेमाओं का कहना है कि मोदी सरकार वक्फ की संपत्तियों को अपने अधिकार में लेने के लिए बदलाव कर रही है।
वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार वक्फ की संपत्तियों और उनके विवादों की सूची बना रही है। मुस्लिम समुदाय पर दबाव बनाने के लिए ही यह सब किया जा रहा है, जिसका विरोध किया जाएगा। मुस्लिम संगठनों के इस रुख की वजह से ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सदन में और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया। आगे भी यह दोनों दल राज्य में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भाजपा को अपने निशाने पर लेंगे और यह भाजपा के लिए मुसीबत बनेगा।
सीएम और डिप्टी सीएम ने साधी चुप्पी :
भाजपा नेताओं को भी इसका अहसास हो गया है। यही वजह है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर अखिलेश यादव तथा मायावती द्वारा भाजपा पर लगाए गए आरोपों का कोई जवाब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम ने नहीं दिया। मायावती ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर यह कहा है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मस्जिद, मदरसा, वक्फ आदि मामलों में जबरदस्ती की दखलअंदाजी किया जाना और मंदिर-मठ जैसे धार्मिक मामलों में अति-दिलचस्पी लेना संविधान और उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विपरीत है।
ऐसी संकीर्ण और स्वार्थ की राजनीति करने के बजाए सरकार राष्ट्रधर्म निभाए । वहीं अखिलेश यादव ने कहा है कि वक्फ संसोधन विधेयक को लाये जाने के पीछे गहरी राजनीति है। भाजपा हताश है, निराश है इसलिए चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है। कांग्रेस ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। अब यही बात यूपी में सपा, कांग्रेस और बसपा के नेता जनता को बताएंगे। इसका असर चुनावी राजनीति पर भी पड़ने का अंदेशा है।
बीते लोकसभा चुनाव में मुस्लिम और दलित समाज के विरोध के चलते ही भाजपा को कई सीटों पर हार का समाना करना पड़ा था। इस बिल के चलते ऐसा फिर हो सकता है, इसीलिए इस मामले में भाजपा के बड़े नेताओं के यूपी में इस विधेयक को लेकर अखिलेश और मायावती के आरोपों का जवाब नहीं दिया है, ताकि यह प्रकरण ज्यादा तूल ना पकड़े और भाजपा के लिए ज्यादा मुसीबत ना खड़ी हो।
यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्ति
यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 1,24,735 वक्फ हैं। इस तरह सुन्नी वक्फ कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं। शिया वक्फ बोर्ड के पास 7275 वक्फ हैं, जिसके तहत 15 हजार 386 संपत्तियां हैं। यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा संपत्तियां मुरादाबाद में हैं तो शिया वक्फ बोर्ड के पास लखनऊ में सबसे अधिक संपत्ति है। सुन्नी वक्फ बोर्ड की मुरादाबाद में 10,386 संपत्तियां हैं और शिया वक्फ बोर्ड की 3603 संपत्तियां हैं।
इसी तरह सुन्नी वक्फ बोर्ड की सहारनपुर में 9812, आगरा में 8436, मेरठ में 8215 और बाराबंकी में 8228 संपत्तियां हैं। जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास 3603 संपत्तियां लखनऊ में और मुजफ्फरनगर में 1260, फर्रुखाबाद में 1203, जौनपुर में 1156 और गाजीपुर में 962 संपत्तियां है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, लखनऊ जामा मस्जिद, नादान महल मकबरा, शाही अटाला मस्जिद जौनपुर, दरगाह सैयद सालार मसूद गाजी बहराइच, फतेहपुर सीकरी की सलीम चिश्ती का मकबरा और वाराणसी धरहरा मस्जिद शामिल है।
वहीं शिया वक्फ बोर्ड के पास लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रामपुर का इमामबाड़ा किला ए मुअल्ला, मकबरा जनाब-ए-आलिया, इमामबाड़ा खासबाग, फैजाबाद में बहू बेगम का मकबरा, बिजनौर का दरगाहे आलिया नजफ-ए-हिंद और आगरा का मजार शहीद-ए-सालिस शामिल हैं।