तीसरा अशरा: रमजान के आखिरी 10 दिन का महत्व, ऐतकाफ से खुलेंगे जन्नत के दरवाजे

By उस्मान | Published: June 5, 2018 02:49 PM2018-06-05T14:49:05+5:302018-06-05T14:49:05+5:30

रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक होता है, जिसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर होता है। वहीं दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) का और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है।

The significance of the last 10 days of Ramadan | तीसरा अशरा: रमजान के आखिरी 10 दिन का महत्व, ऐतकाफ से खुलेंगे जन्नत के दरवाजे

तीसरा अशरा: रमजान के आखिरी 10 दिन का महत्व, ऐतकाफ से खुलेंगे जन्नत के दरवाजे

पवित्र माह रमजान का आखिरी अशरा शुरू हो गया है। 20 रोजे पूरे होने के साथ ही रमजान का आखिरी अशरा शुरू हो जाता है। अब रमजान माह के दस दिन बचे हैं। मुकद्दस रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक होता है, जिसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर होता है। वहीं दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) का और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है। आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्यादा महत्व होता हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी। अब रोजदार मस्जिदों में ऐतकाफ करेंगे। यह सिलसिला ईद का चांद दिखाई देने तक चलेगा। यही वो अशरा है जिसमें एक रात शब-ए-कद्र भी है, जो हजार रातों से अफजल है।

जहन्नुम से बचाता है यह अशरा

इस्लाम में आखिरी अशरे की बहुत फजीलत बताई गई है। यही वजह है कि इसे जहन्नुम से आजादी का अशरा कहा गया है। रमजान के दौरान एक रात ऐसी बताई गई है, जिसमें की गई इबादत हजार माह की इबादत से बढ़कर होती है। इसे 'लैलतुलकद्र' कहा जाता है। इसके लिए मुस्लिम समुदाय के लोग इन दस रातों को जागकर इसे पाना चाहते हैं। आखिरी अशरे में 'ऐतकाफ' करने या घरबार छोड़कर पूरी रात इबादत में गुजार देने का हुक्म है।

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ऐतकाफ से मिलता है खूब सवाब

एतेकाफ का सवाब बहुत ही ज्यादा बताया गया है। इसके एवज में अल्लाह बंदे से जहन्नम को तीन खंदक दूर कर देता है यानी प्रत्येक रात की इबादत का सवाब इतना ज्यादा बताया गया है कि जन्नत या स्वर्ग मिलने की संभावना तय मानी जाती है।

एतकाफ का मतलब

इसी महीने का आखिरी अशरा यानी आखिरी दस दिन में एतकाफ में बैठने का सवाब और भी ज्यादा है। पुरुष मस्जिदों में तो महिलाएं घर के अंदर एतकाफ कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें घर के अंदर ही पाक साफ और ऐसी जगह का चयन करना होगा जहा उन्होंने पाच वक्त की नमाज अदा की हो। उलेमाओं ने एतकाफ 'तनहाई में बैठकर अल्लाह की इबादत करना' की अहमियत बयान की है। 

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हजार महीने की रात से अफजल लैलतुल कद्र

माना जाता है कि लैलतुल कद्र की यह रात हजार महीने की रात से भी अफजल है। 20 रमजान के बीत जाने के बाद रात-दिन मस्जिद में रहकर दुनियावी जीवन से इतर इबादत करने का नाम एतेकाफ है। 

लैलतुल कद्र क्या है

रमजान महीनें की रातों में अल्लाह की एक खास रात है जो 'लैलतुल कद्र' कहलाती है और वह सबाव के एतबार से हजार महीनों से बेहतर है। रमजान मुबारक का आखिरी अशरा अपने अंदर बेशुमार बरकतें और फजीलतें रखता है और लैलतुल कद्र इसी अशरे में आती है।

(फोटो- पिक्साबे)  

Web Title: The significance of the last 10 days of Ramadan

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