देश में एक बार फिर कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। इस बार लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ाया गया है। वहीं लोगों के मनोरंजन के लिए रामायण के बाद दूरदर्शन पर रामानंद सागर की ही श्री-कृष्णा का प्रसारण शुरू कर दिया गया है। भगवान कृष्ण की लीलाओं को पर्दे पर दिखाया जाएगा। जिस तरह रामायण को लोगों ने बहुत सारा प्यार दिया था उसी प्रकार श्री-कृष्ण को भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
भगवान कृष्ण को पालनकर्ता विष्णु का अवतार माना जाता है। अपने नटखट स्वभाव और चंचल क्रिया के कारण वो लोगों के अति-प्रिय रहे। श्री-कृष्ण की बाल लीलाओं पर भी बहुत सारे प्रसंग मिलते हैं। उन्हीं में से एक है श्री-कृष्णा और कालिया नाग की कथा।
आइए आपको बताते हैं कालिया नाग का घमंड किस तरह श्री-कृष्ण ने तोड़ा था और उन्हें सबक सिखाया था-
गरुड़ से दुश्मनी के कारण लिया यमुना में शरण
द्वापर युग में कालिया नाग ने लोगों को परेशान करके रखा था। दिन प्रति दिन उसका आतंक लोगों में फैलता जा रहा था। कालिया नाग कद्रू का पुत्र और पन्नग जाति का नाग था। वो पहले रमण द्वीप में निवास करता था लेकिन पक्षीराज गरुड़ से शत्रुता हो जाने के कारण उसे यमुना नदी में रहना पड़ा। जहां वह लोगों को तंग किया करता था।
पक्षी भी झुलस जाया करते थे
लोककथाओं की मानें तो कालिया नाग ने लोगों को खूब परेशान किया था। बताया जाता है कि जिस यमुना नदी में, जिस कुंड में वह रहता था वहां उसका जल, कालिया नाग के विष की गर्मी से खौलता रहता। गलती से कोई पक्षी अगर उसके ऊपर से निकल जाए तो उस गर्मी से झुलसकर गिर जाया करता था।
कालिया नाग ने श्री-कृष्ण को समझा साधारण बालक
श्री कृष्ण, कालिया नाग के इस विष के बारे में और उसके घमंड के बारे में जानते थे। एक बार अपने सखाओं के साथ खेलते-खेलते उनकी गेंद यमुना नदी में गिर गई। फिर श्री-कृष्णा ने सभी सखाओं को धीरज बंधाया और कदंब के पेड़ पर चढ़कर यमुना में छलांग लगा दी।
जल में कूदते ही उन्होंने कालिया नाग को चेतावनी दी कि निर्षोंदों के प्राण लेने वाले नाग तेरा समय समाप्त हुआ। उस समय कालिया नाग ने उन्हें देखा और साधारण सा बालक समझकर उन्हें अपनी कुंडलियों में दबोच लिया। उन पर भयंकर विष छोड़ने लगा। मगर श्री-कृष्ण पर किसी भी तरह का असर ना देखकर वह आश्चर्य से भर गया।
पैरों से किया प्रहार
जब कालिया नाग थक गया तभी श्रीकृष्ण उछलकर कालिया नाग के फनों पर चढ़ें और उस समय पैरों से प्रहार करने लगे। पूरा वृंदावन ये देख रहा था। भगवान श्रीकृष्ण के एक हाथ में बंसी और एक हाथ में गेंद थी। इसके बाद कालिया नाग हमेशा के लिए यमुना नदी से दूर चला गया और चारों ओर श्री-कृष्ण की जय-जयकार होने लगी।