Sheetla Ashtami 2020: लॉकडाउन के बीच शीतला अष्टमी व्रत, पूजा में जरूर ध्यान रखें ये 10 बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 15, 2020 06:13 AM2020-04-15T06:13:47+5:302020-04-15T06:13:47+5:30

शीतलाष्टमी देश के अलग-अलग भागों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में अलग-अलग तिथियों को मानाया जाता है।

sheetla ashtami 2020 sheetala mata puja vidhi and significance in hindi | Sheetla Ashtami 2020: लॉकडाउन के बीच शीतला अष्टमी व्रत, पूजा में जरूर ध्यान रखें ये 10 बातें

Sheetla Ashtami 2020: लॉकडाउन के बीच शीतला अष्टमी व्रत, पूजा में जरूर ध्यान रखें ये 10 बातें

Highlights शीतला अष्टमी के दिन घर में ताजे भोजन के लिए चूल्हा नहीं जलाना चाहिए।शीतला माता को प्रसन्न करने से साधक और उसका परिवार भी तमाम रोगों से दूर रहता है।

आज शीतला अष्टमी है।  मां शीतला को दुर्गा का रूप मानते हैं। मान्यता है कि जो मां शीतला की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वर मिलता है। मां शीतला, मां काली की ही तरह असुरों का नाश करती हैं। वहीं माता की पावन पूजा शीतला अष्टमी वाले दिन होता है।

शीतलाष्टमी देश के अलग-अलग भागों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में अलग-अलग तिथियों को मानाया जाता है। बिहार, पूर्वांचल, उड़ीसा में बैशाख कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ये पर्व मनाया जाता है। शीतला अष्टमी को ही कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा भी कहा जाता है।

शीतला माता को प्रसन्न करने से साधक और उसका परिवार भी तमाम रोगों से दूर रहता है। शीतला अष्टमी को ही कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा भी कहा जाता है। ऐसे में आईए हम आपको शीतला माता के पूजन से जुड़ी 10 सबसे खास बातें बताते हैं।

1. शीतला अष्टमी का पर्व लॉकडाउन के बीच पड़ रहा है इसलिए सुबह आप गंगा स्नान को तो नहीं जा पाएंगे। इसलिए नहाने के पानी में गंगा जल मिला लें।

2. पूजा से पहले साफ-सुथरे वस्त्र ही पहनें।

3. इसके बाद पूजा की तैयारी शुरू करें। एक थाली में थोड़ा दही, मीठे चावल, पुआ, पकौड़ी, नमक पारे, रोटी, शक्कर पारे, बाजरा आदि जो भी एक दिन पहले बनाया था, उसे रखें।

4. वहीं, दूसरी थाली में रोली, चावल, मेहंदी, काजल, हल्दी, लच्छा (मोली), वस्त्र, माला और सिक्का रखें।

5. एक ठंडे जल से भरा पात्र भी रखें।

6. इसके बाद आटा गूंथकर उससे एक छोटा दीपक बना लें। इस दीपक में रुई की बत्ती घी में डुबोकर लगा लें। इसे जलाना नहीं है और ऐसे ही माता को चढ़ाया जाना चाहिए।

7. इसके बाद पूजा शुरू करें। माता को रोली और हल्दी से टीका करें। उन्हें वस्त्र, मेंहदी, काजल आदि जो आप लेकर आए हैं, अर्पित करें।

8. माता को जल चढ़ाए और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों के आंखों पर लगाए। 

9. कुछ जल घर के हिस्सों में भी छिड़के। बचे हुए पानी को घर आकर पूजा के स्थान पर रखें। 

10. आखिर में घर में पानी रखने की जगह की भी पूजा करें। मटकी, नल आदि की भी पूजा करें। प्रसाद को फिर घर वालों में बांट दें। 

 आज के दिन ना जलाएं चूल्हा

माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर में ताजे भोजन के लिए चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। इस पर्व का वैज्ञानिक महत्व भी है। दरअसल, शीतला अष्टमी का व्रत मौसम में परिवर्तन का भी सूचक है। आम तौर पर इसके बाद गर्मी की शुरुआत होने लगती है और इसलिए आज के बाद बासी खाना बंद कर दिया जाता है। इसलिए कोशिश करें कि आप भी चूल्हा ना जलाएं। 

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