Pradosh Vrat In March: मार्च का पहला प्रदोष कल, आप पर है शनि की ढैया और साढ़ेसाती तो जरूर करें ये व्रत, ये है विधि

By विनीत कुमार | Published: March 6, 2020 10:41 AM2020-03-06T10:41:04+5:302020-03-06T10:44:48+5:30

Pradosh Vrat In March: शनि प्रदोष व्रत को बहुत कल्याणकारी माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। हर माह में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं।

Shani Pradosh vrat in March Phalguna before Holi date, shubh muhurat and puja vidhi in hindi | Pradosh Vrat In March: मार्च का पहला प्रदोष कल, आप पर है शनि की ढैया और साढ़ेसाती तो जरूर करें ये व्रत, ये है विधि

शनि प्रदोष व्रत 7 मार्च को, फाल्गुन का आखिरी प्रदोष

Highlightsफाल्गुन माह का आखिरी और मार्च का पहला प्रदोष व्रत कलशनिवार का दिन होने से विशेष महत्व, भगवान शिव के साथ शनिदेव की भी करें पूजा

Pradosh Vrat In March: मार्च का पहला और इस साल फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 7 मार्च (शनिवार) को पड़ रहा है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर माह की त्रयोदशी को पड़ने वाले प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। त्रयोदशी का दिन भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस बार चूकी ये शनिवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे शनि प्रदोष भी कहते हैं। त्रयोदसी के अगले दिन यानी चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का व्रत भी पड़ता है। चतुर्दशी की तिथि को ही भगवान शिव का विवाह हुआ था।

Pradosh Vrat In March: प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 7 मार्च (शनिवार) को सुबह 9.28 के बाद शुरू हो रहा है। इस तिथि का समापन 8 मार्च को सुबह 6.31 बजे खत्म होगा और फिर चतुर्दशी की शुरुआत होगी। प्रदोष की मुख्य पूजा शाम को ही की जाती है। इसलिए शनिवार को ही प्रदोष व्रत किया जाएगा। प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त 7 मार्च की शाम 6.46 बजे से रात 9.11 बजे तक का है।

बता दें कि शनि प्रदोष को बहुत कल्याणकारी माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इसे करने से भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी कृपा मिलती है। खासकर जिन लोगों पर शनि की ढैया, साढ़ेसाती चल रही है उन्हें ये व्रत जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव से मिल रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है।

Shani Pradosh puja vidhi: शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन साधक को तड़के उठना चाहिए और स्नान आदि के बाद पूजा की तैयारी शुरू करें। काला तिल, तेल, उड़द आदि का भी पूजा में इस्तेमाल करें। ये शनिदेव को पसंद है। इस दिन शनि स्रोत का भी पाठ करना चाहिए।

बहरहाल, शनि प्रदोष पर सुबह भगवान शंकर, पार्वती और नंदी जी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें। शाम को भी इसी तरह भगवान शिव को ये सभी चीजें अर्पित करें।

आठ दीपक अलग-अलग दिशाओं में जलाएं और दीपक रखते समय प्रणाम करें। शनिदेव के नाम से दान भी करें। इस दिन बूंदी के लड्डू काली गाय को खिलाएं। साथ ही शनि प्रदोष के दिन कम से कम एक माला शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करें और हनुमान जी की भी पूजा जरूर करें। इस दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

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