Shani Jayanti 2020: ऐसे हुआ था 'कर्म' के देवता शनि का जन्म, पिता ने अपनाने से कर दिया था मना-पढ़ें रोचक कथा

By मेघना वर्मा | Published: May 22, 2020 12:59 PM2020-05-22T12:59:26+5:302020-05-22T12:59:26+5:30

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती पर लोग भगवान शनि की महीमा गाने और उनकी कृपा पाने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। शनि जयंती पर इस बार ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है।

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Shani Jayanti 2020: ऐसे हुआ था 'कर्म' के देवता शनि का जन्म, पिता ने अपनाने से कर दिया था मना-पढ़ें रोचक कथा

Highlights जब छाया के गर्भ में शनि देव थे तो वह बहुत सारे उपवास और तप किया करती थीं। भगवान शनि, सूर्य देव के पुत्र कहलाते हैं।

शनि देव को कर्मों का देवता माना जाता है। शनि देव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि की साढ़ेसाती किसी पर लग जाए तो उसके जीवन में कष्ट लगा रहता है वहीं शनि की कृपा जिसपर बरस जाए उसकी जिंदगी में खुशियां ही खुशियां भर जाती हैं। 

कर्मों के इन्हीं देवता की जयंती आज 22 मई को देशभर में मनाई जा रही है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती पर लोग भगवान शनि की महीमा गाने और उनकी कृपा पाने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। शनि जयंती पर इस बार ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार शनि जयंति पर मकर राशि में सूर्य और गुरु एक साथ रहेंगे। वृषभ में सूर्य, चंद्र और शुक्र विराजमान रहेंगे। 

शनि देव के जन्मोत्सव पर आइए आपको बताते हैं शनिदेव के जन्म की रोचक कथा-

सूर्य और संज्ञा का विवाह

भगवान शनि, सूर्य देव के पुत्र कहलाते हैं। पुराणों के अनुसार सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था। सूरज का तेज संज्ञा सहन नहीं कर पातीं थीं। संज्ञा ने धीरे-धीरे सूरज का तेज सहन किया। दोनों की वैवस्त मनु, यम और यमी नामक दो संताने हुईं। मगर संज्ञा अब सूर्य के तेज को सहन ना कर सकीं। 

छाया का नर्माण

संज्ञा ने अपनी परछाई छाया का निर्माण किया और उन्हें सूर्यदेव के पास छोड़कर चली गईं। सूर्य देव भी इस बात का पता नहीं लगा पाए कि वो उनकी पत्नी संज्ञा नहीं बल्कि उसकी परछाई छाया हैं। दोनों खुशी-खुशी समय बिताने लगे। दोनों के पुत्र शनि का जन्म हुआ। 

खूब किया उपवास

बताया जाता है कि जब छाया के गर्भ में शनि देव थे तो वह बहुत सारे उपवास और तप किया करती थीं। अत्यधिक तप के कारण शनिदेव का रंग काला हो गया। जब शनिदेव का जन्म हुआ तो सूर्य देव उन्हें देखकर हैरान रह गए। शनिदेव को उन्होंने अपना संतान मनाने से इंकार कर दिया और छाया पर आरोप लगाने लगे।

शनि देव और सूर्य देव में शत्रुता

खुद को पिता द्वारा ना अपनाने और माता छाया का अपमान करने को लेकर शनिदेव पिता सूर्य देव से शत्रु का भाव रखने लगे। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जिन व्यक्ति की कुंडली में शनि और सूर्य एक ही भाव में बैठे हों तो उस व्यक्ति का अपने पिता या पुत्र से कटु संबंध होता है। 

शनि जयंती पर करें ये काम

- पीपल के पेड़ के नीचे शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं
- चीटियों को काला तिल और गुड़ खिलाएं
- चमड़े के जूते चप्पल गरीबों में दान करें
- पीपल के पेड़ में केसर, चन्दन, फूल आदि अपिर्त करके तेल का दीपक जलाएं
- यदि नीलम धारण किया हुआ है तो इसे शनि जयंती पर उतार दें

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