Basant Panchami: सरस्वती चालीसा और सरस्वती वंदना बसंत पंचमी पर पढ़ें इस बार, बरसेगी कृपा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 28, 2020 11:45 IST2020-01-28T11:21:23+5:302020-01-28T11:45:52+5:30

Basant Panchami: ऐसी मान्यता है कि जो भी मां सरस्वती की पूजा पूरे विधि-विधान और निष्ठा से करता है, वह कुशाग्र बुद्धि का बनता है और अपनी बुद्धिमता से दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाता है।

Saraswati chalisa full text, saraswati vandana, aarti and saraswati geet in hindi on Basant Panchami | Basant Panchami: सरस्वती चालीसा और सरस्वती वंदना बसंत पंचमी पर पढ़ें इस बार, बरसेगी कृपा

बसंत पंचमी पर पढ़ें सरस्वती चालीसा और वंदना (फाइल फोटो)

HighlightsBasant Panchami: सरस्वती पूजा इस बार 29 और 30 जनवरी को भी हैमान्यताओं के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने माता सरस्वती की रचना की थी

Basant Panchami: बसंत पंचमी इस बार 29 और 30 जनवरी दोनों ही दिन मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर माता सरस्वती को पूजने की परंपरा है।

मां सरस्वती संगीत, बुद्धि और ज्ञान की देवी है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो भी मां सरस्वती की पूजा पूरे विधि-विधान और निष्ठा से करता है, वह कुशाग्र बुद्धि का बनता है और अपनी बुद्धिमता से दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाता है।

बसंत पंचमी इस लिहाज से भी बेहद शुभ माना गया है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने माता सरस्वती की रचना की थी। इस मौके पर शैक्षणिक प्रतिष्ठानों में विशेष तैयारी रहती है और मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है।

साथ ही उत्तर भारत में कई अन्य जगहों पर भी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस मौके पर आप भी सरस्वती गीत, सरस्वती चालीसा, सरस्वती वंदना जरूर करें। यहां पढ़ें ये सब कुछ... 

Saraswati Chalisa: सरस्वती चालीसा

दोहा-

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्टजनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

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जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

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तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

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तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥

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राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधु-कैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥

समर हजार पांच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

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मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥

रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हृदय धरा सब कांपी॥

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काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बार-बार बिन वउं जगदंबा॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभ-निशुंभा।
क्षण में बांधे ताहि तू अम्बा॥

भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

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को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

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दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥

सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥

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नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥

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भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बांधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी॥

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मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूं न मैं भव कूप॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

Saraswti Puja 2020: सरस्वती वंदना और आरती

सरस्वती वंदना-

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

सरस्वती वंदना गीत-

वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे!

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे!

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

मां सरस्वती की आरती
ऊं जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ऊं जय..

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥ ऊं जय..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला॥ ऊं जय..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥ ऊं जय..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो॥ ऊं जय..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥ ऊं जय..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें॥ ऊं जय..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ऊं जय..

ऊं जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ऊं जय...

English summary :
Basant Panchami: Sarswati Pooja will be celebrate on both 29th and 30th January this year. In Hinduism, there is a tradition of worshiping Goddess Saraswati on the fifth day of Shukla Paksha of Magh month.


Web Title: Saraswati chalisa full text, saraswati vandana, aarti and saraswati geet in hindi on Basant Panchami

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