Sankashti Chaturathi Vrat: संकष्टी चतुर्थी आज , इस 1 रंग का कपड़ा पहन करें भगवान गणेश की पूजा-दूर हो जाएंगें सारे विघ्न
By मेघना वर्मा | Published: April 11, 2020 08:29 AM2020-04-11T08:29:10+5:302020-04-11T08:29:10+5:30
हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी को भगवान गणेश की संकष्टी चतुर्थी का तीज पड़ता है।
भगवान गणेश की संकष्टी चतुर्थी आज मनाई जा रही है। प्रथम पूजनीय श्री गणेश के इस पर्व पर लोग ना सिर्फ भगवान गणेश की उपासना करते हैं बल्कि उनके लिए उपवास भी करते हैं। गणपति को हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है। कहते हैं हर शुभ काम की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाए तो सारी मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
पंचाग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी को भगवान गणेश की संकष्टी चतुर्थी का तीज पड़ता है। इस बार ये पर्व 11 अप्रैल को पड़ा है। माना जाता है कि जो भी उपासक इस दिन गणेश भगवान की पूजा करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए आपको बताते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
नहीं होता घर में कलह
गणेश भगवान विघ्न हरता भी कहे जाते हैं। आपके परिवार में किसी भी तरह की कलह हो तो आप इस व्रत को रख सकते हैं। माना जाता है कि इस व्रत से घर में सुख-शांति का वास होता है। किसी भी तरह का कलह नहीं होता। संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को कहते हैं। वहीं अमावस्य के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।
बन जाएंगे बिगड़े काम
वैसे तो माना जाता है कि भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद होते हैं। मगर आप उन्हें दही और चीनी का भी भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि अगर आपके जीवन में लगातार परेशानियां चल रही हों या आपका कोई काम, बन ना रहा हो तो संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दही और चीनी का भोग लगा दीजिए।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी - 10 अप्रैल
चतुर्थी तिथी आरंभ - 9 बजकर 31 मिनट(10 अप्रैल)
चतुर्थी तिथि समांपत - 7 बजकर एक मिनट (11 अप्रैल)
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
1. इस दिन सुबह जल्दी स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। कोशिश करें कि हल्के पीले रंग का वस्त्र पहनें। ये रंग भगवान गणेश को बहुत प्रिय होता है।
2. अब भगवान गणेश का स्मरण करके व्रत का संकल्प लें।
3. अब पूजा घर या पवित्र स्थान पर लाल या पीला कपड़ा लेकर चौकी पर बिछाएं और उस पर गणेश जी को विराजमान करें।
4. अब प्रतिमा या तस्वीर पर गंगाजल छिड़कें।
5. इसके बाद प्रतिमा पर गंध, पुष्प, अक्षत, जल, दूर्वा, पान, रोली आदि से विधि-पूर्वक पूजा करें।
6. अब भगवान गणेश को भोग लगाएं।
7. अब आरती करके अंत में प्रसाद वितरण करें।
8. इस दिन चंद्रमा दर्शन होने पर शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से चंद्रमा को अर्घ्य भी दें।
चांद को अर्घ्य
रात्रि में आप चंद्रमा को जल से अर्ध्य दें। फिर गणेश जी का स्मरण करें तथा उनसे अपनी मनोकामना कहें। अंत में ब्राह्मण के लिए दक्षिणा और दान का सामान अलग कर दें। उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत पूर्ण करें।