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सफला एकादशी 2019: आज शाम इतने बजे से लग रही है सफला एकादशी, पढें पूरी व्रत कथा और पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Updated: December 21, 2019 09:36 IST

माना जाता है कि एक हजार अश्वमेघ यज्ञ मिलक कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते जितना सफला एकादशी का व्रत रख कर मिल सकती है। माना जाता है कि सफला एकादशी के का व्रत रखने से सारे दुख समाप्त हो जाते हैं साथ ही मनुष्य की सारी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं।

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ठळक मुद्देमान्यता है सफला एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।सफला एकादशी के दिन पूरी आस्था के साथ विष्णु भगवान की पूजा की जाती है।

सनातन धर्म में एकादशी को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। वैसे तो महीने में दो बार एकादशी आती है जिसमें लोग पूरी आस्था के साथ व्रत करते हैं। मगर पौष महीने में पड़ने वाली एकादशी यानी सफला एकादशी की मान्यता सबसे ज्यादा बताई जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से इंसान को सफलता मिलती है। साथ ही उसके सभी कार्य सफल हो जाते हैं। 

इस साल सफला एकादशी 22 दिसंबर को पड़ रही है। वहीं 21 दिसंबर की शाम से ही एकादशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। सफलता एकादशी का व्रत करना सभी के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान श्रीकृष्ण के बीच की बातचीत के रूप में सफला एकादशी का महत्व मिलता है। 

माना जाता है कि एक हजार अश्वमेघ यज्ञ मिलक कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते जितना सफला एकादशी का व्रत रख कर मिल सकती है। माना जाता है कि सफला एकादशी के का व्रत रखने से सारे दुख समाप्त हो जाते हैं साथ ही मनुष्य की सारी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं।

सफलता एकादशी की शुभ तिथि

एकादशी तिथि प्रारंभ - 05:15 PM (21 दिसंबर)एकादशी तिथि समाप्त - 03:22 PM (22 दिसंबर)एकादशी पारण मुहूर्त - 07:10AM - 09:14 AM (23 दिसंबर को)

सफला एकादशी की व्रत कथा

पद्म पुराण में सफला एकादशी की कथा के अनुसार प्राचीन समय में महिष्मान नाम का एक राजा हुआ करता था। उनका ज्येष्ठ पुत्र लुम्पक, बहुत से गलत कामों में लिप्त था। राजा इस चीज से काफी खफा रहते थे। एक बार उन्होंने अपने बेटे के काम से नाराज होकर उसे देश से बाहर निकाल दिया। इसके बाद लुम्पक जंगल में रहने लगा।

एक रात पौष कृष्ण दशमी की रात को ठंड के कारण वो सो नहीं पाया। सुबह होते-होते ठंड से लुम्पक बेहोश हो गया। आधा दिन गुजर जाने के बाद जब बेहोशी दूर हुई तब जंगल से फल इकट्ठा करने लगा। शाम में सूर्य ढलने के बाद अपनी किस्मत को कोसते हुए उसने भगवान को याद किया। एकादशी की रात को भी लुम्पक अपने दुख के बारे में सोचता रहा और सो नहीं पाया।

इसी तरह अनजाने में ही लुम्पक ने सफला एकादशी का व्रत पूरा कर लिया। इस व्रत के प्रभाव से लुम्पक सुधर गया और इनके पिता ने अपना सारा राज्य लुम्पक को सौंप दिया और खुद तपस्या के लिए चले गए। काफी समय तक धर्म पूर्वक शासन करने के बाद लुम्पक भी तपस्या करने चला गया और मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।

सफला एकादशी की पूजा विधि

1.  इस दिन श्रद्धालुओं को भगवान अच्युत की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 2.  एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 3.  इसके बाद भगवान को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए।4.  नारियल, सुपारी, आंवला अनार और लौंग आदि से भगवान अच्युत का पूजन करना चाहिए।5.  इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बड़ा महत्व है।6.  व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिये।

टॅग्स :एकादशी
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