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Rama Ekadashi 2019: जानें रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, तुलसी के पत्ते से होगी मनोकामना पूरी

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: October 23, 2019 07:17 IST

Rama Ekadashi 2019: इस विशेष तिथि पर व्रत रखने और भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा-आराधना करने पर पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शांति मिलती है। आत्मा उच्च लोक में जाने की अधिकारी बनती है। साथ ही जीव की समस्त इच्छाएं तृप्त हो जाती हैं।

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ठळक मुद्देहिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार माता लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है। इस विशेष तिथि पर व्रत रखने और भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा-आराधना करने पर पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शांति मिलती है।

Rama Ekadashi 2019: हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार माता लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी चूंकि लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को समर्पित है इसलिए इसे रमा एकादशी कहा जाता है।

इस विशेष तिथि पर व्रत रखने और भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा-आराधना करने पर पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शांति मिलती है। आत्मा उच्च लोक में जाने की अधिकारी बनती है। साथ ही जीव की समस्त इच्छाएं तृप्त हो जाती हैं।

हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं लेकिन मलमास आता है तो एकादशी का संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। 

रमा एकादशी पूजा विधिरमा एकादशी पर व्रत रखने और भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने पर समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कहा जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और माता लक्ष्मी को लाल रंग के फूल बहुत पसंद हैं। इसलिए व्रतधारियों को भगवान विष्णु को पूजा-अर्चना में तुलसी पत्र शामिल करना चाहिए और उसे भगवान को अर्पित करना चाहिए।

इसी तरह माता लक्ष्मी को लाल रंग के पुष्प अर्पित करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी को योग्य और नियमों का पालन करने वाले ब्राह्मणों को भोजन कराकर ही भोजन करना चाहिए। 

रमा एकादशी मुहूर्त

रमा एकादशी 24 अक्टूबर की है। इसलिए व्रत इसी दिन शुरू किया जाएगा। पारण 25 अक्टूबर को होगा। 

रमा एकादशी पारण मुहूर्त 25 अक्टूबर को सुबह 06:27 बजे से 08:42 बजे तक है। पारण अवधि 2 घंटे 14 मिनट है। 

बता दें एकादशी पर व्रत और पूजा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि भगवान विष्णु को पालनहार यानी समस्त ब्रह्माण्ड का पिता कहा जाता है और माता लक्ष्मी दरिद्रता दूर कर किसी के भी भाग्य जगा सकती हैं। 

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