Pradosh Vrat Katha: आज है रवि प्रदोष, पढ़िए भगवान शिव जी से जुड़ी ये पौराणिक व्रत कथा और पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Published: April 5, 2020 08:36 AM2020-04-05T08:36:21+5:302020-04-05T08:36:21+5:30

मान्यता है कि प्रदोष व्रत पर भगवान भोलेनाथ की मन से सेवा और पूजा करने पर लोगों को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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Pradosh Vrat Katha: आज है रवि प्रदोष, पढ़िए भगवान शिव जी से जुड़ी ये पौराणिक व्रत कथा और पूजा विधि

Highlightsशास्त्रों में प्रदोष व्रत को काफी महत्व दिया गया है। स्वास्थ्य की दृष्टि से रवि प्रदोष को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है।

महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। प्रदोष व्रत पर भगवान भोलेनाथ की मन से सेवा और पूजा करने पर लोगों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। आज यानी 5 अप्रैल को प्रदोष पड़ रहा है। ये रवि प्रदोष है जिसमें पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

शास्त्रों में प्रदोष व्रत को काफी महत्व दिया गया है। स्वास्थ्य की दृष्टि से रवि प्रदोष को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने वालों को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती। आइए आपको बताते हैं रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और व्रत कथा-

प्रदोष व्रत - 5 अप्रैल
प्रदोष काल प्रारंभ - 07:24 PM (5 अप्रैल)
प्रदोष काल समाप्त - 03:51 PM (6 अप्रैल)

रवि प्रदोष पूजा विधि

1. आज के दिन सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद दिन भर व्रत रखने का संकल्प लें।


3. भगवान शिव की मूर्ती या प्रतिमा स्थापित कर उन्हें बेल पत्र, अक्षत, फूल, धूप, दीप, चंदन, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं।
4. भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की भी विधिवत पूजा करें।
5. अंत में प्रदोष वार के हिसाब से कथा पढ़ें और आरती गावें।
6. अगर ये व्रत आप अपने साथी के साथ रखेंगे तो आपको और लाभ होगा। 
7. इस दिन पूरे घर की साफ सफाई जरूर करें।

रवि प्रदोष की व्रत कथा

प्राचीन समय में भागीरथी के तट पर ऋषि समाज ने विशाल गोष्ठी का आयोजिन किया। सभा में व्यासजी के परम शिष्य पुराणवेत्ता सूतजी महाराज हरि कीर्तिन करते हुए पहुंचे। सूतजी को आते हुए देखकर शौनकादि 88 हजार ऋषि मुनि खड़े हो गए। सूतजी ने सभी का अभिनन्नद किया। शौनकादि ने ऋषि से पूछा- हे पूज्यवर, मंगलप्रद और कष्टनिवारक ये प्रदोष व्रत सबसे पहले किसने किया था। इस पर सूतजी बोले- आप सभी शिव के परम भक्त हैं आप सभी के लिए मैं ये कथा कहता हूं-

एक गांव में अति दीन ब्राह्मण का परिवार रहा करता था। ब्राह्मण का पुत्र प्रत्येक दिन गंगा में स्नान को जाया करता था। एक बार जब वो गंगा जी से स्नान करके लौटा तो मार्ग में चोरों ने उसे पकड़ लिया। चोरों ने उससे कहा कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं बस हमें अपने पिता गे गुप्त धन के बारे में बता दो। लड़के ने दीनभाव से कहा कि हम अत्यंत दुखी हैं हमारे पास धन कहां? चोर ने कहा फिर तुम्हारी इस पोटली में क्या है? बालक बोला मां ने मेरे लिए दो रोटियां दी हैं वही है। चोर ने कहा कि ये बहुत दीन-दुखी है हम किसी और को लुटेंगे। 

इतना कहकर वो वहां से चले गए। बालक जब नगर के पास पहुंचा तो बगरद के पेड़ की छाया में सो गया। उसी समय वहां के नगर सिपाही चोर की तलाश में आए और बालक को चोर समझकर ले गए। राजा ने उसे कारावास में कैद करने का हुक्म दे दिया। उधर जब बालक घर नहीं लौटा तो उसकी मां को चिंता सताने लगी। ब्राह्मणी ने अगले दिन प्रदोष का व्रत रखा और शिवजी की उपासना कर अपने बेटे की सलामती मांगी। 

उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसी रात राजा को स्वप्न में दर्शन दिया और आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है उसे प्रात काल छोड़ दें नहीं तो उनका राजा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा। अगली सुबह भगवान शंकर के आदेश सुनकर राजा ने बालकर को छोड़ दिया। बालक ने अपनी सारा वृतांत उन्हें सुनाया। 

राजा ने बालक के घर वालों को बुलाया और अपने 5 गांव दान में दे दिए। जिससे कि वो सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें। भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार आनंद से रहने लगा। माना जाता है कि जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत करता है वह प्रसन्न व निरोग होता है। 

Web Title: Pradosh Vrat Katha, Ravi Pradosh Vrat Kath, puja vidhi, significance, vrat katha in hindi

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