Pradosh Vrat: आज प्रदोष व्रत है। यह जारी अश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत (तेरस, कृष्ण पक्ष) है। वहीं, मासिक शिवरात्रि भी इसके ठीक अगले दिन यानी कल 27 सितंबर को है। यह दोनों व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं। प्रदोष व्रत हर महीने के दोनों पक्षों में एक-एक बार आता है। इसे हर महीने के दोनों पक्षों के त्रयोदशी (13वें दिन) को किया जाता है। ऐसे में जिस दिन भी प्रदोष व्रत होते हैं, उसकी महिमा अलग होती है। सभी का महत्व और लाभ भी पड़ने वाले दिन के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते हैं और शाम को विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि हर दिन का प्रदोष शुभ है लेकिन कुछ विशेष दिन बेहद शुभ और लाभदायी माने जाते हैं। इसमें सोमवार को आने वाले प्रदोष, मंगलवार को आने वाले भौम प्रदोष और शनिवार को पड़ने वाले शनि प्रदोष का महत्व अधिक है।
Pradosh Vrart: भगवान शिव की ऐसे करें पूजा
प्रदोष को लेकर एक मान्यता ये है कि भगवान शिव महाकाल स्वरूप में प्रदोष काल में ही कैलाश पर्वत पर तांडव नृत्य करते हैं और देवी देवता उनकी स्तुति करते हैं। इसलिए इस व्रत की महत्ता बहुत बढ़ जाती है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत करने से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं। चूकी इस बार प्रदोष व्रत के दिन गुरुवार है तो इस दिन पूजन से शत्रुओं पर विजय का फल मिलता है।
Pradosh Vrat: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत को लेकर तिथियों और शुभ मुहूर्त की बात करें तो त्रयोदशी तिथि का आरंभ 26 सितंबर को दिन में 11.02 बजे से हो रहा है और यह 27 तारीख को सुबह 7.32 बजे तक रहेगा। शाम के समय प्रदोष व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 6.16 बजे से रात के 8.41 बजे तक का होगा।
प्रदोष व्रत के दिन साधक को जल्दी उठना चाहिए और घर की साफ-सफाई सहित स्नान आदि कर भगवान शिव की पूजा की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। पूजा के लिए भगवान शिव के मंदिर जाएं या फिर घर पर ही पूजा करें और दिन भर उपवास रखें। चूकी प्रदोष की विशेष पूजा शाम को की जाती है। इसलिए शाम को सूर्य अस्त होने से पहले एक बार फिर स्नान आदि करें। इसके बाद संभव हो तो सफेद रंग के कपड़े ही पहने।
इसके बाद एक थाल में मिट्टी से शिवलिंग बनाये और विधिवत पूजा करने के बाद उनका विसर्जन करें। पूजा के दौरान भगवान का पंचामृत से जरूर अभिषेक करें। भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र, धतुरा, फूल, मिठाई, फल आदि का उपयोग अवश्य करें। भगवान पर लाल रंग का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।