भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठां अवतार माना जाता है। हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती पड़ती है। इस साल परशुराम जयंती 26 अप्रैल को पड़ रही है। ऐसा भी माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था।
पूर्वी उत्तर भारत में पूरे धूम-धाम के साथ परशुराम जयंती मनाई जाती है। नगर में परशुराम की झांकियां निकाली जाती हैं। मगर इस बार लॉकडाउन के चलते लोग अपने घरों में भी भगवान परशुराम की जयंती को मनाएंगें। इस साल कोरोना ने परशुराम जयंती का रंग फीका पड़ेगा।
भगवान विष्णु के छठे अवतार का उद्देश्य पापी, विनाशकारी और अधार्मिक राजाओं को भगाकर पृथ्वी के भार को दूर करना है जिन्होंने इसके संसाधनों को नष्ट कर दिया और राजाओं के रूप में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की।
पिता की आज्ञा से काट दिया था माता का सिर
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। वो ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। ऋषि जमदग्नि को सप्त ऋषि कहा जाता था। भगवान परशुराम अति देजस्वी, ओजस्वी और पराक्रमी थे।
बताया जाता है कि एक बार अपनी पिता की आज्ञा पर उन्होंने अपनी माता का सिर काट दिया था। इसके बाद मां को पुन जीवित करने के लिए भी उन्होंने पिता से वरदान मांगा था। महाभारत के अनुसार महाराज शांतनु के पुत्र भीष्म ने भगवान परशुराम से ही अस्त्र-शस्त्र की विद्या प्राप्त की थी।