देश भर में धूमधाम से नवरात्रि का जश्न मनाया जा रहा है। आज मां दुर्गा की नवरात्रि का नौवां दिन है। मां के बहुत से भक्त आज अपने नौ दिनों के व्रत का पारण करते हैं। सुबह-सुबह कन्याओं को भोजन करवा कर वह अपने नौ दिन का व्रत खोलते हैं। होम, जप और पूजा के साथ ही कुछ लोग अष्टमी पर ही अपना व्रत खोल देते हैं तो कुछ नवमी तक व्रत रखकर इसका पारण करते हैं।
जिस प्रकार देवी दुर्गा के व्रत को नौ दिनों तक रखने का और उनकी पूजा के लिए प्रत्येक नियम और मुहूर्त होता है उसी प्रकार नौ दिन के व्रत के बाद उसे खोलने का भी अपना एक तरीका होता है। व्रत को समाप्त करने के लिए भी विशेष पूजा की जानी जरूरी है। आज हम आपको यहा यही बताएंगे कि इस नवरात्रि के पारण की सही विधि क्या है और उसे पारण करने का सही समय क्या है।
पारण का है विशेष महत्व
पंडित दिवाकर त्रिपाठी के मुताबिक किसी भी व्रत का पारण सही समय पर किया जाना जरूरी है। पुराणों के अनुसार अगर हम सही समय पर व्रत का पारण नहीं करते हैं तो उसका फल हमें नहीं मिलता। चूंकी नवरात्रि का व्रत नौ दिनों तक का होता है तो इसका महत्व और बढ़ जाता है।
पारण का मुहूर्त
पंडित दिवाकर त्रिपाठी के मुताबिक जो लोग नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं वो व्रत का पारण दशमी दिन में करें या जिस समय नवमी तिथी समाप्त हो जाए और दशमी तिथि लग जाए उस समय उन्हें अपने व्रत का पारण करना चाहिए। इस बार नवमी तिथी 6 अक्टूबर को 2 बजकर 16 मिनट के बाद से नवमी लग रही है जो सोमवार को आन 7 अक्टूबर को 3 बजकर 5 मिनट तक रहेगी।
पंडित दिवाकर के अनुसार नवमी के दिन तक यानी दशमी के पूर्व तक ही आप कन्या पूजन, हवन आदि सभी कार्यों को समाप्त कर लें। ताकि शुभ मुहूर्त में आप व्रत का पारण कर सकें। मान्यता है कि जो भोग आप कन्याओं को या माता को लगाते हैं उसी से आपको अपने व्रत का पारण करें तो इसे शुभ माना जाता है।