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Navratri 2019: जानिए नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा कब होगी, हर रूप की है खास विशेषता

By ज्ञानेश चौहान | Updated: September 29, 2019 09:52 IST

इस बार नवरात्र में सर्वार्थसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एकसाथ बनते नजर आएंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस सर्वसिद्धि योग को बेहद शुभ माना जा रहा है।

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ठळक मुद्देनवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है।इस साल नवरात्रि पर बेहद दुर्लभ शुभ संयोग बन रहे हैं।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाए तो मां दुर्गा की कृपा बरसती है। इस बार की नवरात्रि खास इसलिए है क्योंकि इस साल नवरात्रि पर बेहद दुर्लभ शुभ संयोग बन रहे हैं। इस बार नवरात्र में सर्वार्थसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एकसाथ बनते नजर आएंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस सर्वसिद्धि योग को बेहद शुभ माना जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि के पूरे 9 दिनों में किस दिन किस देवी की अराधना करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।   

पहला दिन- शैलपुत्रीनवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर घरों में घटस्थापना की जाती है। प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री के स्वरूप का पूजन होता है। शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम माना गया है। मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है।

दूसरा दिन- ब्रह्मचारिणीशारदीय नवरात्र के दूसरे दिन यानि द्वितीया तिथि पर देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी का पूजन होता है। द्वितीया 30 सितंबर,सोमवार को पड़ेगी। ब्रह्म का अर्थ तप है और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली। तप का आचरण करने वाली देवी के रूप में भगवती दुर्गा के द्वितीय स्वरूप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। देवी दुर्गा के तपस्विनी स्वरूप के दर्शन-पूजन से भक्तों और साधकों को अनंत शुभफल प्राप्त होते हैं। संन्यासियों के लिए इस स्वरूप की पूजा विशेष फलदायी है।

तीसरा दिन- चंद्रघंटाशारदीय नवरात्र की तृतीया तिथि इस वर्ष एक अक्तूबर यानि मंगलवार के दिन है। तृतीया पर काशी में देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है। देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप को चंद्रघंटा नाम मिला। देवी के चंद्रघंटा स्वरूप का ध्यान करने से भक्त का इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाता है। शारदीय नवरात्र की तृतीया तिथि पर देवी के दर्शन से सद्गति की प्राप्ति होती है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र शुभोभित है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।

चौथा दिन- कूष्मांडानवरात्र में देवी दर्शन के क्रम में चतुर्थी तिथि इस वर्ष दो अक्तूबर बुधवार के दिन है। शारदीय नवरात्र की इस तिथि पर देवी के कूष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने का विधान है। शारदीय नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने से मनुष्य के समस्त  पापों का क्षय हो जाता है।

पांचवा दिन- स्कंदमाताशादरीय नवरात्र का पांचवा दिन पंचमी तिथि कहलाती है। इस वर्ष पंचमी तिथि तीन अक्तूबर को गुरुवार के दिन पड़ रही है। इस तिथि पर देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन होता है। स्कंद कार्तिकेय की माता होने के कारण ही देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता नाम मिला है। देवी के इस स्वरूप की आराधना से जहां व्यक्ति की संपूर्ण सद्कामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं उसके मोक्ष का मार्ग भी सुगम्य हो जाता है।  छठवां दिन- षष्ठी कात्यायनीशारदीय नवरात्र का छठा दिन षष्ठी तिथि कहलाता है। षष्ठी तिथि चार अक्तूबर को शुक्रवार के दिन पड़ रही है। इस दिन देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है।  देवी दुर्गा के छठे स्वरूप का दर्शन साधकों को सद्गति प्रदान करने वाला कहा गया है। शारदीय नवरात्र में षष्ठी तिथि पर देवी के दर्शन पूजन का विशेष महात्म्य देवी पुराण और स्कंदपुराण में बताया गया है। कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या करके भगवती परांबा से अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा था। उनकी पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। देवी का विग्रह संकठा घाट पर है।  

सातवां दिन- कालरात्रिदेवी दुर्गा की आराधना क्रम में नवरात्र की सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि सवरूप का पूजन किया जाता है। सप्तमी तिथि अक्टूबर को शनिवार के दिन पड़ेगी। शारदीय नवरात्र में सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन पूजन का विधान है। अंधकारमय परिस्थितियों का नाश करने वाली देवी अपने भक्त की काल से भी रक्षा करती हैं। देवी कालरात्रि के दर्शन पूजन से नौ ग्रहों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।

आठवां दिन- महागौरी शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि छह अक्तूबर को रविवार के दिन पड़ेगी। इस तिथि पर देवी के महागौरी स्वरूप का पूजन होगा। शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के महागौरी का संबंध देवी गंगा से भी है। धर्म ग्रंथों में देवी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस स्वरूप के दर्शन मात्र से पूर्व संचित समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। देवी की साधना करने वालों को समस्त लौकिक एवं अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

नौवां दिन- सिद्धिदात्रीशारदीय नवरात्र का नौवां दिन नवमी तिथि कहलाती है। इस वर्ष नवमी की तिथि सात अक्तूबर को सोमवार के दिन पड़ेगी। इस तिथि पर देवी के सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन-पूजन होगा। देवी का यह स्वरूप समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला है। इसी आधार पर देवी का नामकरण हुआ और उन्हें सिद्धिदात्रि कहा गया।

 

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