आज रविवार को नवरात्र का दूसरा दिन है और इस दिन मां आदिशक्ति के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता की महिमा किसी से छुपी नहीं है और उनके आशीर्वाद से जीवन में अथाह ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। भगवान शिव से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण माता का ये स्वरूप ब्रह्मचारिणी कहलाया।
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो।ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।जिसको जपे सकल संसारा।जय गायत्री वेद की माता।जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।कमी कोई रहने न पाए।कोई भी दुख सहने न पाए।उसकी विरति रहे ठिकाने।जो तेरी महिमा को जाने।रुद्राक्ष की माला ले कर।जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।आलस छोड़ करे गुणगाना।मां तुम उसको सुख पहुंचाना।ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम।भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी।