नवरात्रि के नौ दिनों में तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन मां के स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इसी दिन लोग अपने घरों पर कन्या पूजन भी करते हैं। माना जाता है कि महागौरी की उपासना करने से इंसान को पाप से मुक्ति मिलती है। सिर्फ यही नहीं महागोरी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती है सिर्फ यही नहीं मनचाहे विवाह का वरदान भी इन्हीं से प्राप्त होता है।
शास्त्रों की मानें तो महागौरी को आठवें दिन ही विवाह का वरदान मिला था। मां के आशीर्वाद से भक्तों का वैवाहिक जीवन सुखी हो जाता है। मान्यता तो ये भी है कि इसी दिन माता सीता ने श्रीराम को पति रूप में प्राप्त किया था। इसके लिए उन्होंने महागौरी की पूजा-अर्चना की थी।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो मानें तो मां महागौरी का संबंध शुक्र ग्रह से है। इस दिन माता की पूजा करने से आपकी कुंडली में बैठे राहू से भी राहत मिलती है। सिर्फ यही नहीं कुंडली के शुक्र कि स्थिति मजबूत होती है। इसलिए उन लोगों को भी इनकी पूजा करनी चाहिए जिनकी कुंडली में कोई दोष होता है।
क्या है महागौरी की महत्व
बताया जाता है कि शिव की प्राप्ति के लिए महागौरी ने कठोर पूजा की थी। इससे उनका पूरा शरीर काला पड़ गया था। मां की इस तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उनको दर्शन दिया और मां का शरीर कांतिमय कर दिया। तभी से मां का नाम महागौरी पड़ गया। बताया तो ये भी जाता है कि इसी दिन माता सीता ने श्रीराम के लिए महागौरी से प्रार्थना की थी।
चढ़ता है नारियल और इत्र
महागौरी को नारियल चढ़ाया जाता है। मगर खास बात ये है कि इस नारियल को चढ़ाने के बाद इसका उपयोग नहीं करते। बल्कि इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर देते हैं। अष्टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं और किसी बहते जल के स्त्रोत के पास जाकर उसे सिर घुमाकर जल में प्रवाहित कर दें। इसे मुड़ कर ना देखें। इसी के साथ ही मां को इत्र भी चढ़ाया जाता है जिसे इस्तेमाल नहीं किया जाता।
कहा जाता है कि महागौरी की कृपा से मनचाहे विवाह की मनोकामना पूरी होती है। साथ ही इस स्वरूप की पूजा करने से मधुमेह और हारमोंस की समस्या भी दूर होती है। सिर्फ यही नहीं महागौरी की पूजा करने से आंखों की समस्या से छुटकारा मिलता है। तो इस आठवें दिन महागौरी की पूजा अवश्य करें।
ध्यान रखें ये बातें
मां गौरी की उपासना करते समये इस बात का ध्यान रखें कि आपने सफेद वस्त्र धारण किया हो। क्योंकि मां को सफेद रंग बहुत पसंद है। शुक्र के मूल मंत्र 'ॐ शुं शुक्राय नमः' का जाप करें। वहीं मां को अर्पित किए हुए इत्र को अपने पास जरूर रखें। मगर इसका इस्तेमाल बिल्कुल ना करें।