आज शायदीय नवरात्रि का सातवां दिन है और आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। देखने में मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है लेकिन मां का ह्रदय अत्यंत कोमल है। आज के दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सारी परेशानियां और समस्याओं को दूर करती हैं।
पूजा के दौरान बरतें सावधानियांमां कालरात्रि के गले में नरमुंडों की माला होती है। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और वह सुख-शांति से जीवन यापन करता है। मां कालरात्रि की पूजा करते समय कई तरह की सावधानियां बरतनी होती हैं। पूजा के दौरान में कई चीजों का ध्यान रखना होता है। इसलिए भलाई इसी में है कि मां कालरात्रि की पूजा से पहले हमें अच्छी तरह से पूजा विधि जान लेनी चाहिए जिससे कोई गलती न हो।
मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त- मां कालरात्रि की पूजा का ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है। - तांत्रिक मां की पूजा आधी रात में करते हैं।- सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।- अमृत काल मुहूर्त- सुबह 6:20 से 8:20 तक- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक
मां कालरात्रि की पूजा विधि
एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र स्थापित करें। इसके बाद मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं। माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें। मां को लाल फूल अर्पित करें, साथ ही गुड़ का भोग लगाएं। मां के मन्त्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद मां की कथा सुनें और धूप व दीप से इनकी आरती उतारें। आरती उतारने के बाद मां को प्रसाद का भोग लगाएं और मां से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें।