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Navratri 2020 Maa Chandraghanta Puja: ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा, पढ़ें मंत्र और आरती

By गुणातीत ओझा | Updated: October 19, 2020 15:13 IST

आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा के रूप को सौम्य बताया गया है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी होता है।

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ठळक मुद्दे आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी होता है।

Navratri 2020: आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा के रूप को सौम्य बताया गया है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी होता है। मां के मस्तक में घंटे का आकार का अर्द्धचंद्र है, इसलिए मां को चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान करने से हर तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मां को लाल रंग पसंग है, उन्हें लाल रंग का फूल अर्पित कर खुश किया जा सकता है। 

मां चंद्रघंटा की पूजा करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

मां की पूजा-अर्चना करते समय मंदिर की घंटी अवश्य बजानी चाहिए। घंटे की ध्वनि से मां अपने भक्तों पर हमेशा आशीर्वाद बनातीं हैं। मां को मखाने की खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां की आराधना से भक्तों को अहंकार नहीं होता और उनमें सद्भावना बढ़ती है। मां की आराधना से घर-परिवार में शांति आती है। तृतीय नवरात्र पर लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां को गाय का दूध अर्पित करने से दुखों से मुक्ति मिलती है। माता चंद्रघंटा को शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां की आराधना से सभी कष्टों का निवारण होता है। मां सौभाग्य, शांति और वैभवदायनी हैं। मां का उपासक निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा के भक्त जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं।

इस तरह करें मां चंद्रघंटा की पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए। मां को लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। मां को लाल सेब चढ़ाएं। जब आप मां को भोग चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें तो घंटी जरूर बजाएं। मां चंद्रघंटा को दूध अर्पित करें और दुध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं। अपनी सामर्थ्यनुसार इसी का दान भी करें। मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगाएं। इससे मां बेहद खुश हो जाती हैं। भक्तों के दुखों का नाश होता है।

मां चंद्रघंटा के मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

ध्यान मंत्र:

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।

कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ:

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।

अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।

धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥

नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।

सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥

मां चंद्रघंटा की आरती:

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।

मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।

घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।

करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥

मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।

जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥

अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।

भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।

जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥

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