Navratri 2019: महासप्तमी के दिन होती है नवपत्रिका की पूजा, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
By मेघना वर्मा | Updated: October 5, 2019 08:37 IST2019-10-05T08:37:40+5:302019-10-05T08:37:40+5:30
महासप्तमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने एक शीशा रखें और उस शीशे पर पड़ रहे प्रतिबिम्ब का स्नान कराएं। इसे ही महा स्नान कहते हैं।

Navratri 2019: महासप्तमी के दिन होती है नवपत्रिका की पूजा, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
देश भर में नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। पंडालो में दुर्गा मां का आवाह्न किया जा रहा है। वहीं दुर्गा मां की अराधना के साथ ही नवरात्रि की सप्तमी को नवपत्रिका की पूजा का भी विधान है। नवपत्रिका यानी नौ तरह की अलग-अलग पत्तियों का गुच्छा जिसे देवी का स्वरूप समझकर पूजा जाता है। नौ दिन तक व्रत करने वाले भक्तों को नवपत्रिका की उपासना जरूर करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार इन नौ पत्तियों को देवी का स्वरूप माना जाता है। नौ पत्तियों में मां के नौ रूपों को पूजा जाता है। नवपत्रिका को सूर्योदय से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कराया जाता है जिसे महा स्नान भी कहते हैं। इसे करने से सभी क्लेष और दोष मिट जाते हैं। आइए आपको बताते हैं कब है नवपत्रिका पूजा का शुभ मुहूर्त और कैसे करें इसकी पूजा।
हर साल महासप्तमी वाले दिन नवपत्रिका का पूजन होता है। इस बार महासप्तमी 5 अक्टूबर को पड़ रही है। सप्तमी तिथी 5 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 51 मिनट तक ही है। इसलिए कोशिश करें की नवपत्रिका का पूजन इस तिथी से पहले ही कर लें।
ऐसें बनाएं नवपत्रिका
नवपत्रिका को बनाने के लिए नौ पत्तियों, केले, कच्वी, हल्दी, जौ, बेलपत्र, अनार, अशोक, अरूम और धान के पत्तों को लें। और उन्हें एक कोने से बांध लें। इन सभी पत्तों को मां के अलग-अलग स्वरूपों से जोड़ा जाता है। जैसे केले के पत्ते को ब्राह्मणी का प्रतीक, हल्दी के पत्ते को मां दुर्गा का प्रतीक, जौ की बाली को देवी कार्तिकी का प्रतीक, बेल पत्र को शिव का प्रतीक, अनार के पत्ते को रक्तदंतिका का प्रतीक आदि। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने एक शीशा रखें और उस शीशे पर पड़ रहे प्रतिबिम्ब का स्नान कराएं। इसे ही महा स्नान कहते हैं।
ऐसे करें नवपत्रिका की पूजा
1. बांधी हुईं नौ पत्तियों को गंगाजल से स्नान कराएं।
2. इसके बाद नवपत्रिका को लाल रंग का कपड़ा पहनाएं या चुनरी उढ़ाएं।
3. इसके बाद इसे दुर्गा की प्रतिमा पंडाल में रखें।
4. दुर्घा प्राणप्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा कीजिए।
5. अब नवपत्रिका को पूजा स्थान पर वापिस लाकर उसको चंदन और फूल चढ़ाएं।
6. इसके बाद नवपत्रिका को गणेश जी के दाहिने ओर रखिए।
7. अंत में मां दुर्गा की महाआरती कीजिए।

