नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ बेहद खास माना जाता है। दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं जिसमें देवी दुर्गा की महिमा बताई गई है। माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का विधि पूर्वक पाठ करने से ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ के लिए कौन-सी सावधानियां बरतनी होती हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का तरीका और सावधानियां (Durga Saptashati Method and Precautions)- देवी पुराण में सुबह के समय पूजन करना शुभ बताया गया है। इसलिए इस समय का खास ख्याल रखना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। अगर घर में कलश स्थापना की गई है तो पहले कलश का पूजन, फिर नवग्रह की पूजा और फिर अखंड दीप का पूजन करना चाहिए।
- दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले दुर्गा सप्तशती की किताब को लाल रंग के शुद्ध आसन पर रखें। फिर इसका विधि-विधान पूर्वक अक्षत, चंदन और फूल से पूजन करें। इसके बाद पूरब दिशा की ओर मुंह करके अपने माथे पर अक्षत और चंदन लगाकर चार बार आचमन करें।
- अगर दुर्गा सप्तशती का संस्कृत में पाठ करना कठिन लग रहा है तो ऐसे में हिन्दी में भी सप्तशती का पाठ किया जा सकता है। अगर एक दिन में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ नहीं संभव हो पाए, तो ऐसे में पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करना चाहिए। फिर अगले दिन बचे हुए दो चरित्रों का पाठ करना चाहिए। - इसके अलावा दूसरा तरीका ये है कि पहले दिन प्रथम अध्याय का एक पाठ, दूसरे दिन द्विती अध्याय का दो आवृति पाठ और तृतीय अध्याय का पाठ, तीसरे दिन चौथे अध्याय का एक आवृति पाठ, चौथे दिन पंचम, षष्ठ, सप्तम और अष्टम अध्याय का पाठ, पांचवें दिन नवम और दशम अध्याय का पाठ, छठे दिन ग्यारहवां अध्याय का पाठ, सातवें दिन 12वें और 13वें अध्याय का पाठ। इसके बाद एक आवृति पाठ दुर्गा सप्तशती की करनी चाहिए।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले और बाद में नवारण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना आवश्यक माना गया है। इस मंत्र में सरस्वती, लक्ष्मी और काली के बीज मंत्र का संग्रह है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए कि मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट हो। ऐसा इसलिए क्योंकि शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा अपने उग्र स्वरूप में होती हैं। इसलिए विनम्रता से देवी की आराधना करें। पाठ के बाद कन्या पूजन करना आवश्यक माना गया है।
- इन सारी बातों को ध्यान में रखकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सारे दुख-दर्द दूर होते हैं और मां दुर्गा का आशिर्वाद प्राप्त होता है।