नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भक्त को किसी भी तरह की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। मां का ये स्वरूप सिद्धियां देने वाला होता है। नवमी पर कितने ही भक्त अपने घरों में कन्या पूजन भी करते हैं। जिसे कल्याणकारी और शुभ माना जाता है। इस बार नवमी 7 अक्टूबर को पड़ रही है।
माना जाता है कि सिद्धिदात्री मां ने भगवान भोले की कृपा से ही कई सिद्धियां प्राप्त की थीं। सिद्धिदात्री की वजह से ही भोले शंकर का शरीर आधी देवी का हुआ था। इसी के बाद से भोले बाला को अर्द्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाने लगा। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार मां को अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व और वाशित्व जैसी आठ सिद्धियां प्राप्त हैं। कहते हैं जो सच्चे मन से इनकी पूजा करें उसे सिद्धियों के साथ मोक्ष की प्राप्ती होती है।
लगाएं इन चीजों भोग
देवी सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना करने के लिए भक्त उनको हलवा, पूरी, चना का भोग लगाते हैं। मान्यता है कि सिद्धिदात्री को खीर का भोग लगाया जाना शुभ होता है। सिर्फ यही नहीं अगर भक्त मां को फल का भोग लगा रहे हैं तो उसमें संतरे का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है। तो इस नवमी आप भी मां सिद्धदात्री को इन दो में से किसी एक चीज का भोग अवश्य लगाएं।
ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
नवमी को सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।पूजा करने वाली जगह को साफ कर लें।वहां एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें।माला पहनाएं, लाल चुनरी चढ़ाएं और श्रृंगार पिटारी अर्पित करें। अब मां को फूल और फल चढ़ाएं। मां को खीर और नारियल का भोग लगाएं। इसके बाद मां के सामने दीया जलाएं।फूल लेकर हाथ जोड़ें और मां का ध्यान करें