नवरात्रि के सातवें दिन देवी के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। जिन्हें तांत्रिक गुप्त शक्तियों की देवी भी कहा जाता है। मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप की सेवा करके व्यक्ति अपने दुष्टों और शत्रुओं से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। भक्त पर आई हर तरह की बाधा को मां कालरात्रि हर लेती है। तीन नेत्रों वाली देवी की पूजा लोग गुप्त शक्तियां प्राप्त करने के लिए भी करते हैं। मां की विशेष पूजा के साथ विशेष आरती भी गाई जाती है।
बात करें मां के स्वरूप की उनका शरीर काला है। बाल बिखरे हुए हैं। गले में माला है। माता के चार हाथ हैं और एक हाथ में कटार है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। इनकी सवारी गर्दभ या गधा है। मां कालरात्रि, शनि ग्रह पर भी राज करती हैं। इसलिए जिन लोगों का शनि खराब है वो भी मां कालरात्रि की पूजा करना चाहिए।
मां को चढ़ाएं ये खास फूल
मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए खास चमेली के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो आप मां कालरात्रि की पूजा के लिए आप किसी भी फूल का उपयोग कर सकते हैं मगर शास्त्रों की मानें तो चमेली के फूलों से मां की सेवा करना ज्यादा फलदायी होता है।
खास बात ये है कि कालरात्रि की पूजा की शुरूआत आप गणेश पूजा से करें उसके बाद मां कालरात्रि की पूजा करें। बाद में मां कालरात्रि की आरती जरूर करें।
ये हो पूजा-विधि
मां कालरात्रि का पूजन करने के लिए सुबह स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।देवी को अक्षत, धूप गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का नैवेद्य करें। इसके बाद मां की स्तुति करें।स्तुति के लिए-