Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी व्रत कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व और कथा

By रुस्तम राणा | Published: May 8, 2022 02:11 PM2022-05-08T14:11:46+5:302022-05-09T16:28:45+5:30

वैशाख मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मोहिनी एकादशी तिथि के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से एकादशी व्रत किया जाता है।

Mohini Ekadashi 2022 Date shubh muhurat vrat vidhi significance and katha | Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी व्रत कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व और कथा

Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी व्रत कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व और कथा

Mohini Ekadashi 2022 Date: मोहिनी एकादशी व्रत 12 मई गुरुवार को रखा जाएगा। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मोहिनी एकादशी तिथि के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से एकादशी व्रत किया जाता है। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। मान्यता है इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। समुद्र मंथन से अमृत कलश से निकले अमृत को देवों को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता ये भी है कि इस दिन व्रत करने वाले जातकों की सारी परेशानी भगवान विष्णु हर लेते हैं। 

मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि शुरू: 11 मई को शाम 7:31 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 12 मई को शाम 6:52 मिनट तक 
व्रत पारण का समय: 13 मई सुबह 5:32 मिनट से सुबह 8:14 मिनट तक है।

मोहिनी एकादशी व्रत विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें। 
पूजा स्थल भगवान विष्णु की मूर्ति पूजा चौकी पर स्थापित करे।
विष्णु जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। 
भगवान विष्णु की आरती के बाद भोग लगाएं। 
मोहिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। 
विष्णु भगवान के भोग में तुलसी जरूर चढ़ाएं।
रात्रि को भगवान विष्णु जी की पूजा के पश्चात पलाहार करें 
अगले दिन पारण के लिए शुभ मुहूर्त में तुलसी दल खाकर व्रत का पारण करें। 
उसके बादृ ब्राह्मण को भोजन कराकर खुद भी भोजन करें।

मोहिनी एकादशी की व्रत कथा

प्राचीन काल में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का एक नगर था। वहां धनपाल नाम का वैश्य रहता था। वह सदा पुण्य कार्य करता था। उसके पांच बेटे थे। सबसे छोटा बेटा हमेशा पाप कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन वह नगर वधू के गले में बांह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया।

वैश्य का बेटा अब दिन-रात शोक में रहने लगा। एक दिन महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। वैशाख का महीना था। कौण्डिल्य ऋषि गंगा में स्नान करके आए थे। वह मुनिवर कौण्डिल्य के पास गया और हाथ जोड़कर बोला,  ब्राह्मण ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया कीजिए और कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।'

तब ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि वैशाख मास के शुक्लपक्ष में मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। तब उसने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे उसके सारे पाप कट गए और वह विष्णु धाम चला गया।

Web Title: Mohini Ekadashi 2022 Date shubh muhurat vrat vidhi significance and katha

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