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Navratri 2019 : नवरात्रि में पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By ज्ञानेश चौहान | Updated: September 29, 2019 08:26 IST

शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा पर आधिपत्य है। मां शैलपुत्री अपने भक्तों को सभी प्रकार का सौभाग्य प्रदान करती हैं। मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।

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ठळक मुद्देऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री का जन्म शैल यानि पत्थर से हुआ है।अगर महिलाएं मां शैलपुत्री की पूजा करती हैं तो उनको जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के् बाद पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्त को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। मां शैलपुत्री की पूजा भी कलश स्थापना के बाद शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से ही की जाती है। तो आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की आराधना करने का तरीका और महत्व।

मां शैलपुत्री की पूजा विधिमां शैलपुत्री की आराधना करने से पहले चौकी पर मां शैलपुत्री की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद उस पर एक कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर नारियल और पान के पत्ते रखकर एक स्वास्तिक बनाएं। कलश स्थापना के बाद उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगायें) की स्थापना भी करें।

इसके बाद कलश के पास अंखड ज्योति जला कर 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:' मंत्र का जाप करें। इसके बाद मां को सफेद फूल की माला अर्पित करते हुए मां को सफेद रंग का भोग जैसे खीर या मिठाई आदि लगाएं। इसके बाद मां के सामने हाथ जोड़कर व्रत और पूजन का संकल्प लें।

मां को 16 श्रृंगार की वस्तुएं, चंदन, रोली, हल्दी, बिल्वपत्र, फूल, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, फूलों का हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा आदि अर्पित करें। इसके बाद माता की कथा सुनकर उनकी आरती करें। शाम को मां के समक्ष कपूर जलाकर हवन करें।

शारदीय नवरात्र का शुभ मुहूर्त

कलश स्‍थापना की तिथि: 29 सितंबर 2019कलश स्‍थापना शुभ मुहूर्त: 29 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक.कुल अवधि: 1 घंटा 24 मिनट.अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्वऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री का जन्म शैल से हुआ है। संस्कृत में शैल को पत्थर कहा जाता है। इसलिए मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है। अगर महिलाएं मां शैलपुत्री की पूजा करती हैं तो उनको जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से वैवाहिक सुख भी प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा पर आधिपत्य है। मां शैलपुत्री अपने भक्तों को सभी प्रकार का सौभाग्य प्रदान करती हैं। मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। 

मां शैलपुत्री के मंत्र1. ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:2. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥3. वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥4. या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मां

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