Makar Sankranti 2022: इस बार मकर संक्रांति पर बन रह रहा है ये शुभ संयोग, ऐसे उठाएं लाभ
By रुस्तम राणा | Updated: January 8, 2022 14:18 IST2022-01-08T14:10:15+5:302022-01-08T14:18:40+5:30
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस साल मकर संक्रांति पर शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र शाम 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति 2022
Makar Sankranti 2022: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन पुण्य प्राप्ति के लिए पवित्र नदी में स्नान, दान एवं शुभ कार्य किए जाते हैं। सूर्य देव के मकर राशि प्रवेश करने से मांगलिक पुनः प्रारंभ हो जाते हैं अर्थात इस दिन एक महीने चला आ रहा खरमास समाप्त हो जाता है। मकर संक्रांति पर्व इस साल 14 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। इस बार मकर संक्रांति के दिन ग्रहों का भी विशेष संयोग बन रहा है, जिससे इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
मकर संक्रांति पर बन रहा है ग्रहों का ये खास संयोग
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस साल मकर संक्रांति पर शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र शाम 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र पर स्नान-दान और पूजा का विशेष फल मिलता है। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन आनंदादि और ब्रह्म योग भी बनेंगे।
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन तड़के उठकर स्नान आदि करना चाहिए। इसके लिए आप किसी पवित्र नदी में जा सकते हैं। अगर नदी की ओर जाना संभव नहीं है तो घर में पानी में तिल डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा है। सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ रख लें। जल के इसी मिश्रण को सूर्य देव को अर्पित करें। भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुए 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन इन चीजों का करें दान
मकर संक्रांति के दिन अपनी क्षमता के अनुसार गरीब व्यक्ति को वस्त्र और अन्न आदि दान करना चाहिए। तिल के दान का महत्व खास है। साथ ही चावल, दाल, खिचड़ी का दान भी बहुत शुभ माना गया है।
मकर संक्रांति का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है, लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के मिलन का भी त्योहार है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। कहते हैं मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाता है।