महावीर जयंती विशेष: वर्धमान से महावीर बनने तक की गाथा, जानें 10 मुख्य बातें

By धीरज पाल | Updated: March 29, 2018 08:39 IST2018-03-29T07:49:27+5:302018-03-29T08:39:49+5:30

Mahavir Jayanti (महावीर जयंती): बाल-ब्रह्माचारी माने गए महावीर का कलिंग नरेश की कन्या 'यशोदा' से विवाह हुआ था किंतु 30 साल की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर उन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया।

Mahavir Jayanti Special: From Vardhamana to Lord Mahavir, Life history, biography, key facts in hindi | महावीर जयंती विशेष: वर्धमान से महावीर बनने तक की गाथा, जानें 10 मुख्य बातें

Mahavir Jayanti 2018| महावीर जयंती 2018

जैन धर्म के 24वें जैन तीर्थंकर महावीर या वर्धमान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को हुआ था। प्रति वर्ष यह दिन 'महावीर जयंती' के रूप में मनाया जाता है। इस बार 29 मार्च 2018  को महावीर जयंती है। महावीर अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से भरा हुआ था। इनकी माता का नाम 'त्रिशला देवी' और पिता का नाम 'सिद्धार्थ' था। बचपन में महावीर का नाम 'वर्धमान' था, लेकिन बचपन से ही वर्धमान साहसी, तेजस्वी, ज्ञान पिपासु और अत्यंत बलशाली होने के कारण 'महावीर' कहलाए। भगवान महावीर ने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया था, जिस कारण इन्हें 'जीतेंद्र' भी कहा जाता है।  

माना जाता है कि जिस युग में हिंसा, पशुबलि, जाति-पांति का भेदभाव अपने चरम सीमा पर था उसी युग भगवान महावीर ने जन्म लिया और इसके खिलाफ अपनी अवाज अहिंसा व शांतिपूर्ण उठाई। इस दौरान उन्हें ढेर सारे कठिनाईयों का मुकाबला करना पड़ा था। महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन विश्वभर के जैन मंदिरों में भगवान महीवर की लोग पूजा अर्चना करने के बाद उनकी मूर्ति की रथ यात्रा निकालते हैं। 

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इस मौके पर आइए जानते हैं भगवान महावीर से जुड़ी 10 मुख्य बातें -   

1. महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले हुआ था। ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां चैत्र शुक्ल तेरस को वर्द्धमान का जन्म हुआ। बचपन में इनका नाम वर्धमान था।
2. वर्धमान बाद में इस काल के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी बने। जैन ग्रंथों के अनुसार, 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त हो जाने के 278 वर्ष बाद इनका जन्म हुआ था।
3. माना जाता है कि भगवान महावीर, ऋषभदेव से प्रारंभ हुई वर्तमान 24 के अंतिम तीर्थंकर थे। प्रभु महावीर शुरुआती 30 साल राजसी वैभव एवं विलास के दलदल में ‘कमल’ के समान रहे।
4. दिगम्बर परंपरा के मुताबिक महावीर बाल-ब्रह्माचारी थे। कलिंग नरेश की कन्या 'यशोदा' से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 साल की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। 


5. महावीर के तीन आधारभूत सिद्धांत हैं- अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकान्त हैं। ये युवाओं को आज की भागमभाग और तनाव भरी जिंदगी में सुकून की राह दिखाते हैं। महावीर की अहिंसा केवल शारीरिक या बाहरी न होकर, मानसिक और भीतर के जीवन से भी जुड़ी है। 
6. महावीर ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका- इन चार तीर्थों की स्थापना की इसलिए यह तीर्थंकर कहलाए। यहां तीर्थ का अर्थ लौकिक तीर्थों से नहीं बल्कि अहिंसा, सत्य आदि की साधना द्वारा अपनी आत्मा को ही तीर्थ बनाने से है। महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। 
7. महावीर ने जो आचार-संहिता बनाई वह निम्न प्रकार है-
a.किसी भी जीवित प्राणी अथवा कीट की हिंसा न करना
b.किसी भी वस्तु को किसी के दिए बिना स्वीकार न करना
c. मिथ्या भाषण न करना
d. आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना
e. वस्त्रों के अतिरिक्त किसी अन्य वस्तु का संचय न करना।

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8. सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, 'हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है'। 
9. भगवान महावीर ने ईसापूर्व 527 में 72 वर्ष की आयु में बिहार के पावापुरी (राजगीर) में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। 
10. भगवान महावीर के देह त्यागने के पश्चात जैन धर्म मुख्य रूप से दो सम्प्रदाय दिगम्बर जैन और श्वेताम्बर जैन के रूप में बंट गया। इनमें दिगम्बर जैन मुनियों के लिए नग्न रहना आवश्यक है जबकि श्वेताम्बर जैन मुनि सफेद वस्त्र धारण करते है। यूं देखा जाए तो दर्शन, कला और  साहित्य के क्षेत्र में जैन धर्म का अहम योगदान है।

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