शिव के गले में क्यों लिपटा है नाग? क्यों मिली है चंद्रमा को भोले के शीश पर जगह-पढ़िए शिव से जुड़े कुछ रहस्य

By मेघना वर्मा | Published: February 21, 2020 11:51 AM2020-02-21T11:51:22+5:302020-02-21T11:51:22+5:30

शिव ही सत्य है। शिव से जुड़ी हर चीज जिंदगी के अलग-अलग मायनों को दर्शाती हैं। शिव औघड़ हैं जो आदि भी हैं और अनंत भी।

mahashivratri special do you know what is the importance of lord shiva damru, trishul, snake,moon and third eye in hindi | शिव के गले में क्यों लिपटा है नाग? क्यों मिली है चंद्रमा को भोले के शीश पर जगह-पढ़िए शिव से जुड़े कुछ रहस्य

शिव के गले में क्यों लिपटा है नाग? क्यों मिली है चंद्रमा को भोले के शीश पर जगह-पढ़िए शिव से जुड़े कुछ रहस्य

Highlightsत्रिशूल इस बात का प्रतीक है कि भगवान शिव तीनों लोकों से ऊपर हैं। भोले के गले में लटका सांप, सतर्कता का प्रतीक है।

पूरा देश आज भगवान भोले को मनाने में लगा है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर लोग वैरागी शिव की कृपा पाना चाहते हैं। हाथों में  त्रिशूल, सिर पर चांद, गले में सर्प और डमरू लिए जब शिव अपना तांडव करते हैं तो पूरी दुनिया शिव के इस रूप से अचम्भित हो उठती है। उनकी चटा और सिर पर चांद उनकी शोभा को और सु-शोभित करता है।

शिव ही सत्य है। शिव से जुड़ी हर चीज जिंदगी के अलग-अलग मायनों को दर्शाती हैं। शिव औघड़ हैं जो आदि भी हैं और अनंत भी। शिव को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञाता कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में दो प्रमुख अस्त्रों का जिक्र आता है वो है धनुष और त्रिशूल। त्रिपुरासुर का वध और अर्जुन का मान भंग, ये दो ऐसी घटनाएं हैं जहां शिव ने अपनी धनुर्विद्या का प्रदर्शन किया था। 

त्रिशूल से भगवान शिव ने शंखचूर का वध किया था। यही वो त्रिशूल है जिससे भगवान गणेश जी का सिर भी काटा था। वाराह अवतार में मोह के जाल में फंसे विष्णु जी का मोह भंग कर बैकुठ जाने के लिए विवश किया था। 

आइए जानते हैं शिव से जुड़े पांच चीजों की क्या है मान्यता-

1. चांद

ज्ञान, मन से परे है मगर इसे एक रिंग के माध्यम से ही लोगों तक पहुंचना चाहिए। जिसे ही दर्शाता है शिव के सिर पर विराजमान चमकदार चांद। शिव पुराण के अनुसार चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से हुआ था। ये कन्याएं 27 नक्षत्र हैं। 

वहीं चंद्रमा रोहिणी से विशेष स्नेह रखते थे। वहीं जब बाकी कन्याओं ने इसकी शिकायत दक्ष से की तो दक्ष ने उन्हें श्राप दे दिया। जिससे बचने के लिए वो भगवान शिव की शरण में चले गये। शिव ने ना सिर्फ उनके प्राण बचाए बल्कि अपने शीश पर स्थान दिया। 

2. सांप

भोले के गले में लटका सांप, सतर्कता का प्रतीक है। हर समय तत्पर रहना सिखाता है। ये नाग हैं वासुकी। पुराणों की माननें तो ये नागों के शासक थे। सागर मंथन के समय इन्होंने रस्सी का काम किया था। ये भगवान शिव के परम भक्त थे। इसी से प्रसन्न होकर शिव ने इन्हें नागलोक का राजा बनाया और अपने गले का आभूषण भी।

3. त्रिशूल

त्रिशूल इस बात का प्रतीक है कि भगवान शिव तीनों लोकों से ऊपर हैं। शिव ही वो शक्ति रखते हैं जो सोने जागने और सपने पर एक साथ काबू पा सकते हैं। बताया जाता है कि इसका अविष्कार स्वंय भगवान शिव ने किया था। आरंभ में ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो साथ ही रज, तम, सत यह तीनों गुण भी प्रकट हुए। यही तीनों गुण शिव जी के तीन शूल यानी त्रिशूल बने। इनके बीच सांमजस्य बनाए बगैर सृष्टि का संचालन कठिन था।

4. तीसरी आंख

ज्ञान और सतर्कता का प्रतीक है शिव की तीसरी आंख। शिव के माथे पर भभूत से बनी तीन रेखाएं तीनों लोकों की प्रतीक मानी जाती हैं। इसे रज, तम और सत गुणों का प्रतीक भी मानते हैं। ये रेखाएं कहां से आयीं इस पर कोई जानकारी नहीं मिलती। प्राचीन कथाओं के अनुसार दक्ष प्रजपति के यज्ञ कुंड में सती के आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव उग्र रूप धारण कर लिया था। तीनों लोकों के स्वामी इस कदर रूद्र थे कि अपनी तीसरी आंख खोल कर उन्होंने तांडव किया था। 

5. डमरू

शिव का डमरू पूरी दुनिया का प्रतीक माना जाता है। जो एक अलौकिक ध्वनि से आपस में बंधा हुआ है। जब शिवजी नटराज के रूप में नृत्य करते हैं तो उनके हाथों में एक वाद्ययंत्र होता है जिसे डमरू कहते हैं। इसका आकार रेत घड़ी जैसा है जो दिन रात और समय के संतुलन का प्रतीक है।  

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