Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह कथा, देह में भस्म लगाकर और गले में सर्प डाले जब बारात लेकर पहुंचे भगवान शंकर!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 5, 2020 10:26 AM2020-02-05T10:26:52+5:302020-02-05T10:29:28+5:30

Mahashivratri: भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कहानी बेहद अनोखी है। ऐसी शादी न कभी पहले हुई थी और न अब कभी भविष्य में होगी।

Mahashivratri 2020, date and story of lord shiv parvati vivah katha | Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह कथा, देह में भस्म लगाकर और गले में सर्प डाले जब बारात लेकर पहुंचे भगवान शंकर!

Mahashivratri: पढ़ें, शिव-पार्वती विवाह कथा

HighlightsMahashivratri: महाशिवरात्रि पर हुई थी भगवान शिव और माता पार्वती की शादीभगवान शिव की बारात बेहद अनोखी थी, इसमें देव-दानव सहित सभी जानवर और कीड़े-मकोड़े भी मौजूद थे

Mahashivratri: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यह विवाह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सबसे अनोखी शादियों में से एक है। एक ओर पर्वतराज की कन्या पार्वती थीं तो दूसरी ओर एक ऐसा तपस्वी जिसकी दुनिया बिल्कुल अलग थी। 

शिव के बारे में कहा जाता है कि वे इतने भोले हैं उन्हें दुल्हे के तौर पर कैसे सजना है, क्या करना है, इसका भी पता नहीं था। ऐसी बारात न कभी पहले निकली थी और अब न कभी निकलेगी।

एक मौका तो ऐसा भी आया जब शिव को देख माता पार्वती की मां ने अपनी बेटी का हाथ उन्हें देने से मना कर दिया था। बहरहाल ये शादी हुई। आईए, जानते हैं भगवान शिव और माता पार्वती की शादी से जुड़ी खूबसूरत कथा को...

Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह कथा

माता पार्वती की कठोर तपस्या से शिव उनसे शादी के लिए राजी हो गए थे। शादी की तैयारी शुरू हो गई और बारात का दिन आ पहुंचा। शिव एक तपस्वी थे और इसलिए उनके परिवार में कोई नहीं था। आखिरकार शिव अपने गणों समेत भूत-प्रेत और पिशाचों के साथ बारात ले जाने का निर्णय करते हैं। शिव और उनके गणों को भी पता नहीं था कि विवाह के लिए कैसे तैयार हुआ जाता है। ऐसे में उन्होंने शिवजी को भस्म से सजा दिया। 

शरीर पर भस्म, गले में सर्प। शिव इस रूप में सांसारिक नहीं बल्कि अविनाशी और प्रलंयकर के रूप में नजर आ रहे थे। बारात जब माता पार्वती के द्वार पहुंची तो उन्हें देख सभी हैरान रह गये। महिलाएं डर कर भाग गईं। इन सभी को क्या पता कि वे साक्षात शिव के दर्शन कर रहे हैं। शिव के इस विचित्र रूप को देख माता पार्वती की मां ने अपनी बेटी का हाथ देने से मना कर दिया।

ऐसे में मां पार्वती ने शिवजी से फिर से सांसारिक रीति रिवाजों के अनुसार तैयार होकर आने का अनुरोध किया। इसके बाद देवताओं ने उन्हें तैयार कराया। उन्हें दैवीय जल से स्नान कराया गया और फूलों से सजाया गया। कुछ ही देर बाद जब शिव सामने आये तो सभी उनका रूप देख हैरान रह गये।

वह कंदर्प से भी ज्यादा सुंदर दिखने लगे थे। उनके शरीर का रंग चांद की रोशनी को भी मात दे रहा था। इसके बाद आखिरकार विवाह समारोह शुरू हुआ और माता पार्वती और शिव ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई।

Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह में देव भी थे, दानव भी

कहते हैं कि इस भव्य विवाह में देवताओं से लेकर दानव और छोटे-बड़े सभी जीव भी शामिल हुए थे। दरअसल, शिव को पशुपति भी कहा जाता है। इसलिए सभी जानवर, कीट, कीड़े-मकोड़े उनकी शादी में पहुंचे। बाराती में भूत-पिशाच और असुर भी मौजूद थे।

एक कथा के अनुसार विवाह के वक्त संकल्प दिलाते समय पंडितों ने शिवजी से उनका गोत्र पूछ लिया। इस सवाल को सुन शिवजी हैरान रह गए। उन्हें समझ नहीं आया कि वे भला अपना क्या गोत्र बताएं। उन्होंने तो कभी इस पर ध्यान ही नहीं दिया। शिवजी ने इसके बाद ब्रह्मा जी और विष्णु जी को देखा। दोनों ने शंकर जी को देखा और हंसने लगे। पंडित समझ गए कि उनसे भूल हो गई। उन्होंने उस बात को वहीं छोड़ शादी की रस्म आगे बढ़ाई।

Web Title: Mahashivratri 2020, date and story of lord shiv parvati vivah katha

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