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Mahabharat: कर्ण अगर नहीं करते ये 6 गलतियां तो बदल जाती महाभारत की लड़ाई की पूरी कहानी!

By विनीत कुमार | Updated: March 5, 2020 14:14 IST

Mahabharat: कर्ण महाभारत काल के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं में शामिल हैं। कई मौकों पर तो उनमें अर्जुन को भी पीछे छोड़ने की क्षमता थी। हालांकि, कुछ गलतियों ने उन्हें हारा हुआ योद्धा बना दिया।

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ठळक मुद्देमहाभारत की लड़ाई में कर्ण के पास पासा पलटने की थी क्षमतादो शाप और कवच-कुंडल को दान में देने जैसे फैसलों ने कर्ण को कमजोर बना दिया

Mahabharat:महाभारत की कहानी में कर्ण एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिनमें अर्जुन का मुकाबला करने की क्षमता थी। उनके पास कुछ ऐसे बाण भी थे जो अर्जुन के पास नहीं थे। यही कारण है कि दुर्योधन ने हमेशा कर्ण को अपने करीब और मित्र बनाकर रखा। हालांकि, इन सभी के बावजूद महाभारत की लड़ाई में कौरवों की हार हुई।

कर्ण के पास वो सभी ताकत थे जो कौरवों की जीत के लिए जरूरी थे लेकिन फिर भी न केवल उनका वध अर्जुन के हाथों हुआ बल्कि कौरवों की भी हार हुई। इसके पीछे कर्ण की कुछ गलतियां भी जिम्मेदार थीं जो उन्होंने की। आईए, जानते हैं कर्ण की 6 गलतियों के बारे में, जिसे अगर वो नहीं करते तो महाभारत की लड़ाई का नतीजा कुछ और भी हो सकता था।

1. अर्जुन से युद्ध से पहले माता कुंती को दिया वचन: यह जब तय हो गया कि कर्ण युद्धभूमि में उतरेंगे तो एक सुबह कुंती उनके पास पहुंची। उन्होंने कर्ण से पांडवों के पक्ष में युद्ध करने का अनुरोध किया। इस घटनाक्रम से पहले कर्ण के पास जाकर श्रीकृष्ण बता चुके थे कि वे पांडवों के भाई हैं। कुंती जब कर्ण के पास आईं तो उन्होंने अपनी दुविधा बताते हुए ये वचन दिया कि वे अर्जुन को छोड़ किसी भी पांडव भाई पर हथियार नहीं उठाएंगे। साथ ही उन्होंने ये वचन भी दिया कि युद्ध का नतीजा जो भी हो लेकिन कुंती के पांच पुत्र (अर्जुन या कर्ण) जिंदा रहेंगे।

2. इंद्र ने मांगा कवच-कुंडल: कर्ण के पास जन्म से ही एक कवच और कुंडल था। इस वजह से उन्हें कोई नहीं मार सकता था। ऐसे में इंद्र ब्राह्मण रूप में युद्ध से पहले कर्ण के पास पहुंचे और उनसे कवच और कुंडल दान के रूप में मांग लिए। कर्ण की एक पहचान महादानी के तौर पर भी होती है और वे प्रात: काल स्नान और पूजा के बाद पहली बार कुछ मांगने आये किसी भी व्यक्ति को मना नहीं करते थे। इसलिए कर्ण इसबार भी मना नहीं कर सके और इस तरह कवच और कुंडल उनके हाथ से जाता रहा।

3. कर्ण के पास अमोघ अस्त्र: कर्ण के पास एक ऐसा अमोघ अस्त्र था जिससे कोई भी शक्तिशाली व्यक्ति को मारा जा सकता था। इसकी एक शर्त यही थी कि इसे केवल एक बार इस्तेमाल किया जा सकता था। कर्ण ने इसे अर्जुन के लिए बचा कर रखा था। हालांकि, अर्जुन से युद्ध से पहले कौरव सेना में भीम के पुत्र घटोत्कच ने तबाही मचा दी। कौरव सेना उसके कारण बुरी तरह बर्बाद होती जा रही थी। आखिरकार दुर्योधन ने मजबूरी में कर्ण को अमोघ वस्त्र चलाने को कहा। कर्ण ने यही किया और घटोत्कच मारा गया। इस तरह अर्जुन की भी जान बच गई।

4. गुरु परशुराम का शाप: कर्ण ने सभी विद्याएं परशुराम से सीखी थीं। परशुराम से कर्ण ने खुद को ब्राह्मण बताया था। हालांकि, जब शिक्षा लगभग खत्म हो जाने के बाद एक शाम कर्ण के जांघों पर सिर रखकर परशुराम जब सो रहे थे, तभी एक कीट वहां आ पहुंचा। उसने कर्ण के जांघों को काटना शुरू कर दिया। दर्द के कारण कर्ण की नजर जब उस पर कीड़े पर पड़ी तो वे इसलिए उसे नहीं हटा सके क्योंकि ऐसा करने से उनके गुरु की नींद खराब हो सकती थी। कर्ण काफी देर तक ये दर्द सहते रहे। परशुराम की जब नींद खुली तो उन्होंने ये दृश्य देखा और कर्ण से पूछा कि उन्होंने कीड़े को हटाया क्यों नहीं। इस पर कर्ण ने कहा कि वे नहीं चाहते थे कि गुरु के आराम में विध्न पड़े। ये सुन परशुराम को क्रोध आ गया और उन्होंने आरोप लगाया कि कर्ण ने झूठ बोला कि वे क्षत्रीय नहीं है। परशुराम ने कहा कि क्षत्रीय के अलावा किसी और में इतनी सहनशक्ति हो ही नहीं सकती। इसके बाद परशुराम ने शाप दिया जब उनकी सिखाई शस्त्र विद्या की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, उस समय ये विद्या उनके किसी काम नहीं आयेगी। अर्जुन के साथ महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण के साथ ऐसा ही हुआ।

  5. कर्ण ने नहीं मानी सर्प की बात: महाभारत से जुड़ी एक लोककथा के मुताबिक अर्जुन से लड़ाई के दौरान एक जहरीला सर्प उनकी तूणीप में आकर बैठ गया। कर्ण ने जब तीर निकाला तो वह सर्प उनके हाथों में आ गया। कर्ण ने उससे पूछा कि तुम कौन हो। इस पर सर्प ने जवाब दिया वह अर्जुन से बदला लेने के लिए यहां आया है। सर्प ने कहा कि कि अर्जुन ने एक बार पूरे खांडव वन में आग लगा दी थी। इससे उसकी माता भी जलकर मर गई थी। इसलिए वह अर्जुन को मारना चाहता है। सर्प ने कर्ण को सलाह दी कि वह उसे धनुष में रखकर चला दे ताकि वह अर्जुन के पास पहुंच जाए और डंस ले। हालांकि, कर्ण ने ये बात नहीं मानी और कहा कि वे खांडव वन में आग लगाने को अर्जुन की गलती नहीं मानते। साथ ही उन्होंने कहा कि अनैतिक तरीके से जीत हासिल करना उनके संस्कारों में नहीं है। इतना कहकर उन्होंने सर्प को लौट जाने को कह दिया। 

6. ब्राह्मणों का शाप: कथा के अनुसार कर्ण एक समय शब्द भेदी बाण का अभ्यास कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक जंगली जानवर समझ कर एक बाण चलाया जो एक गाय को जा लगी। यह गाय एक ब्राह्मण की थी। वह इसे देखकर बहुत क्रोधित हुए कर्ण को शाप दे डाला कि वह किसी युद्ध में उस समय मारे जाएंगे जब उनका ध्यान बंटा होगा।

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