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सात पहाड़ों का सीना चीर कर निकलती है ये नदी, एक प्रेम कहानी के दर्दनाक अंत से जुड़ा है इसका 'इतिहास'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 20, 2019 13:46 IST

केन नदी के उद्गम को लेकर प्रचलित एक कथा के अनुसार बहुत पहले कर्णवती नाम की एक खूबसूरत युवती थी। वह एक युवक से प्रेम करती थी। गांव के पास जिस पहाड़ी से नदी का उद्गम हुआ है वहां तब खेत हुआ करते थे।

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ठळक मुद्देमध्य प्रदेश के कटनी जिले में है केन नदी का उद्गम स्थलकेन नदी के उद्गम से जुड़ी है एक अनोखी पर दर्दनाक प्रेम कहानी

भारत किस्सों और कहानियों का देश है। यहां हर कदम पर ऐसी कथाएं मिल जाती हैं जो न केवल अनूठी बल्कि बेहद हैरान करने वाली भी होती हैं। फिर वह चाहे पहाड़ हो, नदी या कुछ और हर चीज का जुड़ाव किसी न किसी कथा से है। ऐसी ही एक नदी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है यह सात पहाड़ों को पार कर निकलती है। मध्य प्रदेश के कटनी जिले में मौजूद इस नदी का नाम केन है।

इस नदी के उद्गम को लेकर कहानी जितनी हैरान करने वाली है, उतनी ही हैरानी इससे जुड़ी आज की मान्यताओं को लेकर भी होती है। इस नदी को कटनी या कर्णवती नदी भी कहते हैं।

एक प्रेम कहानी के दर्दनाक अंत से जुड़ा है केन नदी का इतिहास

यहां ग्रामिणों के बीच प्रचलित एक कथा के अनुसार बहुत पहले कर्णवती नाम की एक खूबसूरत युवती थी। वह एक युवक से प्रेम करती थी। गांव के पास जिस पहाड़ी से नदी का उद्गम हुआ है वहां तब खेत हुआ करते थे। रूपवती युवती कर्णवती अक्सर अपने प्रेमी से उस जगह मिलने जाया करती थी।

एक चांदनी रात को जब युवक अपनी प्रेमिका कर्णवती का इंतजार कर रहा था तभी किसी ने उसकी हत्या कर दी और शव को खेत में मेढ़ में दफना दिया।

थोड़ी देर बाद कर्णवती जब वहां पहुंची तो अपने प्रेमी को वहां ना पाकर हैरान रह गई। उसने अपने प्रेमी को बहुत खोजा लेकिन सफल नहीं हो सकी। कर्णवती जोर जोर से रोने लगी और प्रार्थना करने लगी।

तभी तेज बारिश होने लगी और उसके प्रेमी का शव मेढ़ से बाहर आ गया। शव देखते ही कर्णवती ने भी वहीं अपने प्राण त्याग दिए। इस घटना के बाद वहीं से पानी की एक धार फूट पड़ी। इस नदी को ही लोगों ने कर्णवती या किनिया नाम दिया। बाद में इसे केन कहा जाने लगा।

सात पहाड़ों का सीना चीरकर निकलती है केन नदी

इस नदी के बारे में मान्यता है कि ये एकमात्र ऐसी नदी है जो सात पहाड़ों का सीना चीरकर निकलती है। केन उद्गम स्थल से कुछ दूरी के बाद नदी छोटी-बड़ी पहाड़ियों में खो जाती है। इसके आगे बढ़ने के साथ-साथ नदी का विशाल रूप सामने आने लगता है। कुल मिलाकर पूरे रास्ते में ऐसे सात छोटे-बड़े पहाड़ों के बीच से नदी बहती है।

पन्ना जिले के पांडवन नाम की जगह पर इसका पटना, व्यारमा और मिढ़ासन नदियों से संगम हो जाता है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहने वाली केन नदी यमुना की सहायक नदी है। कहते हैं कि पूर्णिमा की चांदनी में आज भी नदी के उद्गम स्थल पर कर्णवती और उनके प्रेमी की परछाई नजर आती है।

टॅग्स :मध्य प्रदेश
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