सदी का सबसे बड़ा चन्द्रग्रहण तीन घंटे 55 मिनट लगा, श्रद्धालुओं ने आधी रात से गंगा स्नान कर दिया था शुरू

By रामदीप मिश्रा | Published: July 27, 2018 11:55 PM2018-07-27T23:55:09+5:302018-07-28T04:35:28+5:30

इस पूर्ण चंद्रग्रहण को भारत के साथ अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, मध्य-पूर्व एवं दक्षिण अमेरिका, रशिया, अफ्रीका एवं एशिया में दृश्य होने के कारण भारत में भी अच्छी तरह से देखाई दिया।

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सदी का सबसे बड़ा चन्द्रग्रहण तीन घंटे 55 मिनट लगा, श्रद्धालुओं ने आधी रात से गंगा स्नान कर दिया था शुरू

नई दिल्ली, 28 जुलाईः सदी का सबसे बड़ा चन्द्रग्रहण लग गया। ग्रहण रात 11.54 से शुरू हुआ और 28 जुलाई सुबह 3.49 तक लगा रहा, यानी यह पूर्ण चंद्र ग्रहण था। वहीं, शुक्रवार दोपहर 02:54 बजे से सूतक काल शुरू हो गया था। 28 जुलाई तड़के 03: 49 बजे तक सूतक काल खत्म हो गया। इस दौरान लोग गंगा स्नान कर रहे थे। चंद्र ग्रहण लगते ही बनारस में श्रद्धालु गंगा स्नान करने लगे हैं। 





यह ग्रहण इसलिए भी खास है क्योंकि यह इस साल का दूसरा ब्लड मून है। इस पूर्ण चंद्रग्रहण को भारत के साथ अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, मध्य-पूर्व एवं दक्षिण अमेरिका, रशिया, अफ्रीका एवं एशिया में दृश्य होने के कारण भारत में भी अच्छी तरह से देखाई दिया। सबसे बड़े इस ग्रहण की अवधि 3 घण्टे 55 मिनट थी। हम इस ग्रहण को साधारण आंखों से भी देख सकते थे। 

चंद्रग्रहण को नहीं है आंख के लिए नुकसान दायक

पूर्ण चंद्रग्रहण तब लगता है जब धरती, सूर्य और चांद एक सीध में आ जाते हैं। आपको अगर यह चंद्रग्रहण देखना है तो आप बिना किसी उपकरण के आसानी से देख सकते हैं। बस इसके लिए रात को बस आकाश साफ होना चाहिए। और आपको आकाश में ग्रहण स्पष्ट दिखाई देगा। आपको चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी विशेष फिल्टर या सुरक्षात्मक चश्में पहनने की आवश्यकता नहीं है।सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्रग्रहण आपकी आंखों के लिए नुकसानदायक नहीं है क्योंकि चंद्रमा से ग्रहण के समय कोई भी हानिकारक किरण नहीं निकलती। 

क्यों हो जाता है चंद्रमा लाल

पूर्ण चंद्र ग्रहण का सबसे खूबसूरत नजारा तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह से होता है और यह लाल हो जाता है। इसने घटना को रक्त चंद्रमा या ब्लड मून के नाम से भी जाना जाता है। साइंस की माने तो इस समय चांद का लाल रंग इसलिए होता है क्योंकि सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को अपवर्तन भी कहा जाता है और यह सूरज से पृथ्वी के पीछे की जगह में लेंस की तरह लाल रोशनी देता है। इसका असर यह होता है कि चांद पूरा का पूरा लाल हो जाता है। चंद्रमा का यह सटीक रंग पृथ्वी के वायुमंडल और उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसलिए चांद का रंग हल्का लाल प्रतीत होता है।    

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