श्री कृष्ण की शादी में भगवान गणेश और मंगल ग्रह ने डाली थी बाधा, पढ़ें यह रोचक कथा

By गुणातीत ओझा | Published: September 14, 2020 04:10 PM2020-09-14T16:10:54+5:302020-09-14T16:10:54+5:30

भगवान श्रीकृष्ण की कुण्डली में मंगली योग नहीं था। वृषभ लग्न में जन्में श्रीकृष्ण के नवम भाव में मंगल देव विराजमान हैं। अतः मांगलिक योग नहीं बनता। फिर भी मंगल देव ने विवाह में विघ्न उत्पन्न कर श्रीकृष्ण को क्यों परेशान किया?

Lord Ganesha and Mars had hindered the marriage of Shri Krishna read this interesting story | श्री कृष्ण की शादी में भगवान गणेश और मंगल ग्रह ने डाली थी बाधा, पढ़ें यह रोचक कथा

जानें श्री कृष्ण की शादी से जुड़ी यह रोचक कथा।

भगवान श्रीकृष्ण की कुण्डली में मंगली योग नहीं था। वृषभ लग्न में जन्में श्रीकृष्ण के नवम भाव में मंगल देव विराजमान हैं। अतः मांगलिक योग नहीं बनता। फिर भी मंगल देव ने विवाह में विघ्न उत्पन्न कर श्रीकृष्ण को क्यों परेशान किया? श्रीकृष्ण रूकमणी से विवाह रचाने के लिए बारात लेकर द्वारका से रवाना हुए। भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के विवाह में बाधा उत्पन्न हो जाए, यह आश्चर्य की बात है, लेकिन ऐसा हुआ। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि श्रीकृष्ण रथ पर सवार होकर बारातियों के साथ निकले और कुछ दूर चलने पर उन्होंने देखा कि चूहे जमीन में बड़े-बड़े गड्ढे बना रहे हैं और उनका रथ उन गड्ढों में कभी हिचकोले खाता है और कभी फंस जाता था। श्रीकृष्ण और बाराती परेशान होकर बोले ये क्या हो रहा है। श्रीकृष्ण ने विघ्नहर्ता श्री गणेश का स्मरण किया। श्री गणेश तुरंत प्रकट हो गए। श्री कृष्ण ने भगवान गणेश से पूछा.. ये क्या हो रहा है?

तब श्री गणेश ने कहा कि आपने जाने-अंजाने में मेरी और भूमि पुत्र मंगल देव की उपेक्षा कर दी है। श्रीकृष्ण ने आश्चर्यचकित होकर पूछा वह कैसे? तब गणेश जी ने बताया कि प्रथम पूज्य विनायक गणेश की आपने पूजा नहीं की और न ही उन्हें निमंत्रण दिया। इसके साथ ही आप बारात लेकर रवाना हो गए, लेकिन भूमि पूजन नहीं किया यानि ग्राम देवता की पूजा नहीं की। जाने अंजाने में हुई गलती को भगवान भी माफ करते हैं, बस आपका मन पवित्र होना चाहिए। अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है। अगर गलती हुई है तो उसका समाधान भी है, घबराने की जरूरत नहीं है। बस मार्गदर्शन यानि परामर्श जरूरी है। 

श्री गणेश ने कहा कि विनायक की पूजा कर उन्हें न्योता देकर घर में विराजमान करते हैं, और बारात रवाना करने से पहले भूमि पूजन करते हैं तो कोई विघ्न नहीं होता है। मेरे नाराज हो जाने से मेरी सवारी चूहे ने आपके मार्ग में विघ्न पैदा कर दिया। वहीं, भूमि पुत्र होने के कारण मंगल देव भी आपके द्वारा भूमि पूजन नहीं करने से नाराज हैं। आपने मुझे स्मरण किया है, अतः अपने चूहों को रोक रहा हूं लेकिन हर जातक को विवाह पूर्व मूझे विनायक के रूप में आंमत्रित कर घर में विराजमान करना होगा, तभी विवाह निर्विघ्न सम्पन्न होगा। इसलिए आज भी विवाह के पूर्व शहर के प्रमुख मंदिर से प्रतिकात्मक रूप से विघ्न विनाशक श्री विनायक को अपने घर लेकर आते हैं एवं विवाह निर्विघ्न होने के बाद उन्हें वापस मंदिर पहुँचाते है।
 
।।श्री गणेशाय नमः।।”
“विघ्न हरण मंगल करण, गणनायक गणराज।
प्रथम निमंत्रण आपको, सकल सुधरो काज।।”

 
श्री गणेश ने कहा कि मैं प्रसन्न हूं, पर आपको मंगल देव को मनाना होगा। तब श्रीकृष्ण ने कहा जैसा आप कहें। फिर चूहों ने खड्डे बनाना बंद कर दिए और मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए उस स्थान पर नारियल फोड़कर भूमि पूजन किया गया। इसके पश्चात् बारात आगे प्रस्थान की। वह परंपरा आज भी कायम है। आज भी हम बारात दूसरे शहर में ले जाते हैं तो बस के टायर के नीचे नारियल फोड़ते हैं। यह ग्राम देवता की पूजा और भूमि पूजन कहलाता है। लेकिन मंगल देव फिर भी प्रसन्न नहीं हुए और श्रीकृष्ण ने गणेश जी की सहायता से मंगल को प्रसन्न करने के लिए मांगलिक वस्तुओं का चलन प्रारंभ किया। मंगल देव देवताओं के सेनापति हैं और उनका रंग लाल है। अतः श्रीकृष्ण ने मंगल को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग को बढ़ावा दिया। बैंड बाजे वालों के कपड़े का रंग लाल किया गया। आज भी लाल रंग का समावेश बैंड वालों की ड्रेस में होता है। फिर भी मंगल देव प्रसन्न नहीं हुए। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि तब श्री कृष्ण ने प्रथम पूज्य देव श्री गणेश जी के साथ मिलकर मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए मांगलिक वस्तुओं का चलन प्रारंभ किया। यहां पर आपको बताना चाहूंगा, कि मंगल देव का रंग लाल है और श्रीकृष्ण ने लाल रंग को ध्यान में रखते हुए मांगलिक कार्यक्रम, यानि विवाह में लाल वस्तुओं को शामिल किया ताकि मंगल देव प्रसन्न हो सकें। बारात जब रूकमणी के घर पहुंची, तब श्रीकृष्ण ने दुल्हन की पोशाक का रंग लाल करवाया। दुल्हन को लाल जोड़े में सजाया गया। श्रीकृष्ण द्वारा दुल्हन की जोड़े के लाल रंग करने की परम्परा आज भी चल रही है। श्रीकृष्ण ने एक बार फिर गणेश जी का स्मरण किया और पूछा अब ठीक है? गणेश जी ने कहा नहीं अभी मंगल संतुष्ट नहीं है।

लाल सिन्दूर
भगवान श्रीकृष्ण ने लाल रंग के सिन्दूर से दुल्हन की मांग भरी, लेकिन मंगल देव प्रसन्न नहीं हुए। श्रीकृष्ण ने मंगल को प्रसन्न करने के लिए एक और प्रयास किया।
 
मंगल के लिए मंगलसूत्र
श्रीकृष्ण ने श्री गणेश की सहायता से मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए अथक प्रयास किए, लेकिन हार नहीं मानी। श्रीकृष्ण ने लाल रंग के धागे में कस्तुरी रंग का लॉकेट रूकमणी को गले में पहनाया। जिसे हम आज मंगलसूत्र कहते हैं। तब मंगल देव प्रसन्न हुए। श्रीकृष्ण ने कहा कि एक भूमि पूजन नहीं करने से मंगल देव इतने रूष्ट हो गए? इस पर श्री गणेश ने कहा कि मंगल देव देवताओं के सेनापति हैं और इनका वर्ण लाल है। लेकिन भूमि पूजन से ही मंगल देव प्रसन्न हो गए थे। शेष सभी रस्में मैने ही आपसे पूर्ण करवाई हैं, ताकि कलयुग में मंगली दोष किसी को हो तो इन रस्मों से राहत मिल सके। आज भी में परंपराएं यूं कि यूं बनी हुई हैं। मंगली दोष न होने पर भी विवाह में मंगल वस्तुओं का होना अनिवार्य है।

Web Title: Lord Ganesha and Mars had hindered the marriage of Shri Krishna read this interesting story

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