प्रयाग कुंभ : फिर शुरू होगी बारह माधव यात्रा और पंचकोसी परिक्रमा

By भाषा | Published: May 27, 2018 10:46 AM2018-05-27T10:46:08+5:302018-05-27T10:46:08+5:30

आगामी कुंभ में अरैल से फाफामऊ तक 15 किलोमीटर तक अस्थाई घाटों का निर्माण कराया जाएगा।

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प्रयाग कुंभ : फिर शुरू होगी बारह माधव यात्रा और पंचकोसी परिक्रमा

प्रयाग में अगले साल लगने जा रहा कुंभ मेला यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ ही कुछ अन्य कारणों से भी खास होगा। करोड़ों लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं का उत्सव पूरे उत्साह और निर्बाध तरीके से मना सकें, इसके लिए राज्य सरकार यात्रियों को कुछ अभूतपूर्व सुविधाएं देने के साथ, पुराने प्रयाग में स्थित बारह माधव यात्रा और पंचकोसी परिक्रमा को भी फिर से शुरू करने जा रही है।

ऐसी मान्यता है कि इलाहाबाद की इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विद्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है।

आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई भाषा को बताया कि पुराने प्रयाग में स्थित भगवान कृष्ण के बारह माधव स्वरूप को संवारा जाएगा और उनके लिए उचित यात्रा मार्ग का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही प्रयाग में कभी होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को फिर से जीवित करने का बीड़ा सरकार ने उठाया है।

उन्होंने बताया कि कुंभ से पहले बारह माधव मार्ग और पंचकोसी परिक्रमा के सभी कार्य पूरे हो जाएंगे। इसके लिए शासन ने 5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की है। पंचकोसी परिक्रमा के दायरे में आने वाले मार्गों का चौड़ीकरण, विद्युतीकरण आदि किया जा रहा है।

योगी सरकार ने कुंभ में श्रद्धालुओं का पूरा ख्याल रखने की योजना बनाई है और उनके लिए यात्री निवास के साथ ही गंगा पंडाल और सत्संग पंडाल स्थापित करने की तैयारी की है।

सूत्रों ने बताया कि इस बार का कुंभ, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से एकदम अलग होगा। सरकार ने गंगा पंडाल लगाने की योजना बनाई है। एक पंडाल में 10,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। आगामी कुंभ मेले को 20 सेक्टर में बांटा जाना प्रस्तावित है।

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इस बार का कुंभ, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से एकदम अलग होगा। मेले में लगाए जाने वाले प्रत्येक गंगा पंडाल में 10,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। यात्रियों को ठहरने की सुविधा तो यात्री निवास में मिलती थी, लेकिन घाट के पास उन्हें स्नान से पहले और बाद में भरी सर्दी में खुले में ही बैठना पड़ता था। इसे देखते हुए यह नये पंडाल स्थापित करने का फैसला किया गया।

उन्होंने बताया, “इसके अलावा, मेले में 2000-2000 लोगों की क्षमता वाले 3 सत्संग पंडाल बनाए जाएंगे। ये पंडाल उत्तरी झूंसी, दक्षिणी झूंसी और अरैल क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे जहां श्रद्धालु सत्संग के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद ले सकेंगे।” उन्होंने कहा कि सभी 20 सेक्टरों में श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए एक एक यात्री निवास भी बनाया जाना प्रस्तावित है जहां बिजली, पानी, शौचालय और गद्दे आदि की व्यवस्था होगी। प्रत्येक यात्री निवास की क्षमता 1,000 श्रद्धालुओं की होगी और यह पूरी तरह से निःशुल्क होगी।

सूत्रों ने बताया कि इलाहाबाद में अखाड़ों की जमीन पर साधु संतों के ठहरने के लिए कमरों, बाथरूम, शौचालय आदि का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। सरकार ने इसके लिए नौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की है।

इसके अलावा, पेशवाई मार्गों (जिन मार्गों पर अखाड़ों के साधु संतों की पेशवाई निकलती है) पर झूलते बिजली के तार हटाए जा रहे हैं और नंगी तारों को एबीसी कंडक्टर में बदलने का कार्य किया जा रहा है ताकि पेशवाई के दौरान किसी तरह की दुर्घटना की आशंका न रहे।

उन्होंने बताया कि आगामी कुंभ में अरैल से फाफामऊ तक 15 किलोमीटर तक अस्थाई घाटों का निर्माण कराया जाएगा। वहीं सरकार तीन पक्के घाटों का निर्माण कार्य पहले ही शुरू कर चुकी है।

मेले के दौरान करीब 20 लाख कल्पवासियों के गंगा के तट पर रहने की संभावना है और 10 लाख से अधिक विदेशियों के आने की संभावना है। विदेशी लोगों के ठहरने के लिए अरैल में एक टेंट सिटी बसाई जाएगी।

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हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी कुंभ मेले में 12 से 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना जताई थी और इस मेले के सफल आयोजन के लिए इलाहाबाद के साथ ही प्रदेश के लोगों से आतिथ्य सत्कार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने की अपील की थी।

कुंभ को यूनेस्को ने दुनिया की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है और यह माना है कि यह धरती पर होने वाला सबसे बड़ा शांतिपूर्ण धार्मिक सम्मेलन है, जिसमें विभिन्न वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के भाग लेते हैं। एक धार्मिक आयोजन के तौर पर कुंभ में जैसी सहिष्णुता और समायोजन नजर आता है, वह पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है। उम्मीद करनी चाहिए कि कुंभ के प्रति दुनिया का यह विश्वास और आस्था इसी तरह बनी रहेगी।

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