कार्तिक मास में गुरुवार के ये उपाय चमका देंगे आपकी किस्मत, मिलेगी तरक्की, बनेंगे धनवान
By गुणातीत ओझा | Published: November 5, 2020 04:26 PM2020-11-05T16:26:58+5:302020-11-05T16:36:00+5:30
सभी महीनों में कार्तिक मास को सबसे ज्यादा पावन माना गया है। इस महीने के बारे में कहा जाता है कि इस माह भगवान विष्णु निद्रा से जागकर भक्तों पर आशीर्वाद बनाते हैं।
Kartik Maas Guruwar Upay: सभी महीनों में कार्तिक मास को सबसे ज्यादा पावन माना गया है। इस महीने के बारे में कहा जाता है कि इस माह भगवान विष्णु निद्रा से जागकर भक्तों पर आशीर्वाद बनाते हैं। आज गुरुवार है। गुरुवार का दिन भी भगवान विष्णु को ही समर्पित होता है। भगवान विष्णु के लिए अतिप्रिय होने के साथ ही गुरु का दिन होने से आज की तिथि बहुत ही खास है। गुरु राह दिखाने वाले होते हैं, जबकि विष्णु उस राह पर जीत का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ऐसे में कार्तिक के गुरुवार को गुरु के साथ ही विष्णु की पूजा से जातक की सभी समस्यायें दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा और खास उपाय करने से उनका साथ हमेशा बना रहता है। आइये आपको बताते हैं गुरुवार के इन चमत्कारी उपायों के बारे में..
1. गुरुवार को मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में घर को साफ करने के बाद चावल के लेप से रंगोली सजाएं और मां लक्ष्मी के चरण जरुर बनाएं।
2. महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा सुबह और शाम करनी चाहिए। दीपदान करने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
3. हर गुरुवार को तुलसी के पौधे को दूध चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।
4. गुरुवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और बृहस्पति देव की कथा पढ़नी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन संबंधित सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
5. गुरुवार के दिन बृहस्पति देव व केले के वृक्ष की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से अगर विवाह संबंधी अड़चनें खत्म हो जाती हैं।
6. कुंडली में गुरु की स्थिति ठीक न होने पर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में केसर और चने का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शिक्षा, नौकरी संबंधी सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
7. मान्यता है कि भगवान विष्णु को गुरुवार के दिन हल्दी की माला पहनाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।