24 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। मां दुर्गा को समर्पित इस नवरात्र में लोग देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। देवी दुर्गा की पूजन के बाद दुर्गाष्टमी या नवमी पर छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें भोग लगाया जाता है।
नवरात्रों में इस कन्या पूजन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। पूजन तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उपासक देवी स्वरूप छोटी कन्याओं को भोजन नहीं कराते। माना जाता है कि मां दुर्गा होम और दान से उतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कन्याओं की सेवा से प्रसन्न होती हैं।
नवरात्रि के नौ दिन लोग व्रत करें ना करें मगर कन्याओं को पूजन सभी करते हैं। कन्या पूजन का भी अपना अलग विधान है। जो भक्त मां के नौ दिन का व्रत करते हैं वो नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद भी व्रत का पारण करते हैं। वैसे शास्त्रों के अनुसार अष्टमी का दिन कन्याओं के पूजन के लिए सबसे शुभ बताया जाता है। वहीं कन्या पूजन के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
1. कन्याओं की उम्र का रखें ध्यान
कन्या पूजन के लिए कन्या चयन करते समय उनकी उम्र का विशेष ध्यान रखें। ये उम्र आमतौर पर ग्यारह साल से कम उम्र होनी चाहिए। छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है और इनकी सेवा से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
2. आशीर्वाद जरूरी
कन्या पूजन के बाद जब सभी कन्याओं से विदाई ले रहे हों तो उनके पांव छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लें। आप चाहें तो कन्या रूपी छोटी कन्याओं के हाथों में थोड़े-थोड़े चावल दे दें अब इस चावल को अपनी झोली में लें। इसे अपने घर में रखें। इससे समृद्धि आती है।
3. किसी भी कन्या को ना पहुंचाएं दुख
अक्सर ऐसा देखा गया है कि नवरात्रि के दिनों में तो लोग कन्याओं का पूजन करते हैं मगर इसके खत्म होते ही छोटी कन्याओं पर या उनके यहां काम करने वाले के छोटे बच्चों का दिल दुखाते हैं। ऐसा ना करें। कन्याओं की पूजा से आपको शुभ फल प्राप्त होगा।