Lord Shri Krishna Worship : Bhagwan Shri Krishn ki puja samagri– पूर्णिमा के बाद भादो का महीना लग गया है। भादो के महीने की षष्ठी को बलराम और अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12:27 बजे से 02:06 बजे तक रहेगा। इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा। पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में 10 चीजों का होना बहुत जरूरी है। आज हम आपको उन्हीं 10 चीजों के बारे में बता रहे हैं।
आसन – श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापना सुंदर आसन पर करनी चाहिए। आसान लाल, पीले या केसरिया रंग का व बेलबूटों-रत्नों से सजा हुआ होना चाहिए।
पाघ – जिस बर्तन में भगवान के चरणों को धोया जाता है, उसे पाघ कहते है। इसमें शुद्ध पानी भरकर, फूलों की पंखुड़ियां डालनी चाहिए। पंचामृत – यह शहद, घी, दही, दूध और शक्कर को मिलाकर तैयार करना चाहिए। फिर शुद्ध बर्तन में उसका भोग भगवान को लगाएं।
अनुलेपन – पूजा में उपयोग आने वाले दूर्वा, कुंकुम, चावल, अबीर, अगरु, सुगंधित फूल और शुद्ध जल को अनुलेपन कहा जाता है।
आचमनीय – आचमन (शुद्धिकरण) के लिए प्रयोग में आने वाला जल आचमनीय कहलाता है। इसमें सुगंधित द्रव्य व फूल डालने चाहिए।
स्नानीय – श्रीकृष्ण के स्नान के लिए प्रयोग में आने वाले द्रव्यों (पानी, दूध, इत्र व अन्य सुगन्धित प्रदार्थ) को स्नानीय कहा जाता है।
फूल – भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में सुगन्धित और ताजे फूलों का बहुत महत्व माना जाता है। इसलिए शुद्ध और ताज़े फूलों का ही प्रयोग करना चाहिए।
भोग – जन्माष्टमी की पूजा के लिए बनाए जा रहें भोग में मिश्री, ताज़ी मिठाइयां, ताजे फल, लड्डू, खीर, तुलसी के पत्ते शामिल करने चाहिए।
धुप – विभिन्न पेड़ों के अच्छे गोंद तथा अन्य सुगंधित प्रदार्थों से बनी धूप (अगरबती) भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय मानी जाती है।
दीप – चांदी, तांबे या मिट्टी के बने दिए में गाय का शुद्ध घी डालकर भगवान की आरती विधि-विधान पूर्वक उतारनी चाहिए।