Krishna Janmashtami 2020 Date: जन्माष्टमी 11 अगस्त या 12 अगस्त, कब है जानें
By गुणातीत ओझा | Published: August 10, 2020 04:52 PM2020-08-10T16:52:05+5:302020-08-10T17:24:04+5:30
भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इस कारण से अष्टमी तिथि और रोहिणी तिथि अलग-अलग दिन में पड़ने के कारण 12 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2020 Date): इस साल कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी। कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भादो माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 12 अगस्त को अष्टमी तिथि है लेकिन 11 अगस्त से ही अष्टमी लग जाएगी। यही कारण है कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण भगवान का जन्म कंस की बहन देवकी के गर्भ से हुआ था। कृष्ण का लालन-पालन नन्द बाबा और यशोदा मां ने किया था। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इस कारण से अष्टमी तिथि और रोहिणी तिथि अलग-अलग दिन में पड़ने के कारण 12 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
तरह – तरह की विधाएं
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि भारत में लोग अलग – अलग तरह से जन्माष्टमी मानते है। वर्तमान समय में जन्माष्टमी को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन साधू-संत जन्माष्टमी मानते है। मंदिरों में साधो – संत झूम-झूम कर कृष्ण की अराधना करते है। इस दिन साधुओं का जमावड़ा मंदिरों में सहज है| उसके अगले दिन दैनिक दिनचर्या वाले लोग जन्माष्टमी मानते है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए सुदूर इलाको से श्रद्धालु आज के दिन मथुरा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर पूरी मथुरा और वहां पहुंचे श्रद्धालु कृष्णमय हो जाते है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। मथुरा और आस-पास के इलाको में जन्माष्टमी में स्त्री के साथ-साथ पुरुष भी बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। और रासलीला का आयोजन होता है।
द्वारकाधीश, बिहारीजी एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता हैं, जिनमें भारी भीड़ होती है। भगवान के श्रीविग्रह पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढ़ा ब्रजवासी उसका परस्पर लेपन और छिड़काव करते हैं तथा छप्पन भोग का महाभोग लगाते है। वाद्ययंत्रों से मंगल ध्वनि बजाई जाती है।
जगदगुरु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव नि:संदेह सम्पूर्ण विश्व के लिए आनंद-मंगल का संदेश देता है। सम्पूर्ण ब्रजमंडल, नन्द के आनंद भयो - जय कन्हैय्या लाल की जैसे जयघोषो व बधाइयो से गुंजायमान होता है। पुलिस लाइन्स, सेना के मुख्यालयों पर भी मनमोहक कार्यक्रम का आयोजन होता है। अतः आइये आपसी द्वेष और मनमुटाव को मिटा कर कन्धा से कन्धा मिला कर इस ख़ूबसूरत पर्व को मनाएं और अपनी आस्था को बरक़रार रखे क्यूंकि हमारा धर्म यही सीखता है कि हम सुख-दुःख में हम एक दूसरे साथ दे।
ऐसे मनाएं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करें। अपने घर की विशेष सजावट करें। घर के अंदर सुन्दर पालने में बालरूप श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। रात्रि बारह बजे श्रीकृष्ण की पूजन के पश्चात प्रसाद का वितरण करें। विद्वानों, माता-पिता और गुरुजनों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें। इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि परिवार में कोई भी किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करे। इस दिन के लिए आप अपने घर को संजा सकते हैं। हम पेश कर रहे हैं ऐसे कई आफर्स जहां से आप जन्माष्टमी को शानदार तरीके से मना सकते हैं।
जन्माष्टमी पूजा विधि
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं उसके बाद भगवान् कृष्ण के बालस्वरुप को किसी स्वच्छ पात्र में रखे। फिर उन्हें पंचामृत से स्नान करवाएं। उसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें सुंदर वस्त्र पहना कर उनका शृंगार करें। तत्पश्चात् कृष्ण जी को झूला झुलाएं और धूप-दीप आदि दिखाएं। रोली और अक्षत से तिलक करें। माखन मिश्री का भोग लगाते हुए प्रार्थना करें। हे ! कृष्ण मुरारी भोग और पूजा ग्रहण कीजिए। कृष्ण जी को तुलसी का पत्ता भी अर्पित करना चाहिए। भोग के बाद गंगाजल भी अर्पित करें।