अलविदा जुमा: रमजान का आखिरी शुक्रवार आज, जानिए क्यों होता है खास?
By मेघना वर्मा | Published: May 22, 2020 09:58 AM2020-05-22T09:58:50+5:302020-05-22T10:16:41+5:30
जमात-उल-विदा के दिन को इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। रमजान के पूरे पाक महीने के अंत में ये आखिरी जुमे की रात होती है।
रमजान का पाक महीना चल रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं। 24 अप्रैल से शुरू हुए रमजान का आज 28वां दिन है। मुस्लिम समुदाय में शुक्रवार के दिन को बेहद खास माना जाता है। वहीं आज रमजान का आखिरी शुक्रवार है। जिसे जमात-उल-विदा कहते हैं।
जमात-उल-विदा के दिन को इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। रमजान के पूरे पाक महीने के अंत में ये आखिरी जुमे की रात होती है। जिसमें कुरआन का पाठ किया जाता है। साथ ही पूरे नमाज पढ़ी जाती है। इस दिन का महत्व पवित्र ग्रंथ कुरआन में भी बताया गया है। इस दिन मुस्लिम लोग मस्जिद में इकट्ठा होकर नमाज पढ़ते हैं मगर लॉकडाउन के चलते ना ऐसा करना संभव है और ना ही उचित।
इस्लाम धर्म में शुक्रवार के दिन को खास बताया गया है। जो लोग रोज के रोज नमाज के लिए समय नहीं निकाल पाते वे शुक्रवार को मस्जिद जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं। मगर शुक्रवार को ही क्यों। आइए आपको बताते हैं क्या है इसके पीछे की वजह-
रहम का दिन
इस्लाम धर्म में शुक्रवार के दिन को अल्लाह के दरबार में रहम का दिन माना गया है। माना जाता है कि जुमे के दिन नमाज पढ़ने से इंसान की पूरे हफ्ते की गलतियां माफ हो जाती हैं।
होते हैं तीन नियम
जुमे की नमाज पढ़ने के लिए भी तीन नियम का पालन करना होता है। पहला गुसल, दूसरा- इत्र और तीसरा- सिवाक। पहले नियम गुसल के अनुसार शुक्रवार के दिन स्नान करना आवश्यक माना गया है ताकि आपका शरीर पाक हो जाए।
इसके बाद दूसरे नियम के अनुरूप आपको इत्र लगाना होगा। वहीं तीसरे नियम के मुताबिक जुमे के दिन दांतों को साफ करना भी जरूरी माना गया है। जिसे सिवाक कहते हैं। मान्यता है कि इन तीनों नियमों का पालन करने के बाद ही जुमे की नमाज अल्लाह तक पहुंचती है।
स्वंय अल्लाह ने चुना है ये दिन
इस्लामिक मान्यताओं की मानें तो जुमे के दिन यानी शुक्रवार को खुदअल्लाह ने चुना था। हफ्ते के सभी दिनों की तुलना में उन्होंने ही शुक्रवार के दिन को सर्वश्रेष्ठ माना था। अल्लाह ने ही पूरे वर्ष में से एक महीना ऐसा निकाला था जिसे रमदान का महीना नियुक्त किया गया। जिसे इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है।